होली - मेरे लिये कभी न भूलने वाला पर्व
----------------------------------------------
होली का पर्व वैसे तो सभी पर्वों में में सबसे अधिक 'उल्लास एवं मस्ती से मनाया जाने वाला त्योहार है पर उरई में हमारे कुटुम्ब की लगभग 125 वर्ष पुरानी परम्परा इसे हम सबके लिये विशेष बना देती है .मेरा आवास उरई( ज़िला -जालौन ,उत्तर प्रदेश ) के राम नगर मोहल्ले में है .यहां मेरे कुटुम्ब( सक्सेंना परिवार ) के 15 परिवार रहते हैं .
होलिका दहन के अगले दिन सभी परिवारों के पुरूष और बच्चे एक स्थान पर एकत्र होते हैं और फिर लगभग 40-50 लोगों का समूह कुटुम्ब के प्रत्येक परिवार में जाता है जहां सभी रंग भरी होली खेलते हैं .देवर अपनी भाभियों को रंगों से रंग देते है .कोई भी बिना रंगे नहीं जाता .प्रत्येक परिवार का मुखिया अबीर ,गुलाल एवं पकवानों से सभी का स्वागत करता है .हर परिवार अपनी एक विशेष dish के लिये जाना जाता है ज़िसका लोगों को साल भर इंतजार रहता है.
समय के साथ सामाजिक प्रतिमान भी बदल रहे हैं पर खुशी इस बात की है कि इस परम्परा के निर्वाह में नई पीढी भी पूरी दिलचस्पी रखती है . जो परिवार अकेले पति -पत्नी रह गये हैं ,या ज़िनके बच्चे अवकाश न मिलने ,दूरी या व्यस्तता के कारण नहीं आ पाते हैं ,उन्हें भी इस परम्परा के रहते अकेलापन कम महसूस होता है .
पिछले पचास वर्षों में हमारे कुटुम्ब के एक सदस्य श्री सुशील प्रकाश सक्सेंना ,ज़िनकी उपस्थिति से इस परम्परा में बडी जीवन्तता रहती थीं ,इस नश्वर संसार को छोड गये उनकी कमी इस बार बहुत महसूस हुयी .परिवार की एक बहू शालिनी के निधन से भी माहौल गमगीन रहा .
Monday, March 13, 2017
होली -मेरे लिये कभी न भूलने वाला पर्व
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment