उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव में नतीजों की स्थिति काफी स्पष्ट हो चुकी है .
यू .पी .में नतीजे लोकसभा चुनाव 2014 की तरह चौकाने वाले रहे .अधिकतर लोगों( मुझे भी )को त्रिशंकु विधान सभा की संभावना लग रही थी, पर जनता ने एक राष्ट्रीय दल भाजपा को प्रचंड बहुमत दिया .लोकतंत्र में जनादेश का सम्मान किया जाना चाहिये .
उत्तर प्रदेश के संदर्भ में देश में प्राय:यह धारणा रही है कि यहां की राजनीति जातिवादी व संप्रदायवाद से प्रभावित रहती है .पर पिछले तीन विधान सभा चुनावों में जनता ने राजनीतिक परिपक्वता प्रदर्शित करते हुए एक ही दल को पूर्ण बहुमत दिया -2007में बसपा को , 2012 में सपा तथा अब 2017 में भाजपा को . किसी दल को यह शिकायत नहीं रह सकती कि बहुमत के अभाव में वे काम नहीं कर पाये .लोकसभा में भी पूर्ण समर्थन एक दल भाजपा को मिला .
हर अगला चुनाव पिछली सरकार के लिये जनता का एक सबक रहा .इसलिये विजय पर खुशियां मनाने के साथ साथ इस तथ्य को भी ध्यान रखना चाहिये .
सभी राज्यों के चुनाव में यह बात भी द्रष्टव्य रही कि anti -incumbency factor सभी जगह दिखाई दिया .लोग पिछली सरकार से असंतुष्ट रहे तो जो भी विकल्प उन्हें दिखा उसे उन्होने चुना .
पर यह जनता की राजनीतिक परिपक्वता का द्योतक है कि उसने राष्ट्रीय दलों पर आस्था जताई जैसे पंजाब में कांग्रेस पर ,यू .पी .व उत्तराखण्ड में भाजपा पर .गोआ व मणीपुर में भी मुकाबला राष्ट्रीय दलों में ही हैं
राष्ट्रीय दलों को यह भी सोचना चाहिये कि क्यूँ लोग क्षेत्रीय दलों के विकल्प को तलाशने लगते हैं .जो राष्ट्र की एकता के हित में नहीं हैं .
चुनाव में बडे उलटफेर होते हैं .इतिहास बताता है कि इन्दिरा ज़ी व अटल बिहारी बाजपेयी जैसे लोकप्रिय नेता तक हार चुके हैं .इस बार भी उत्तराखण्ड के मुख्य मंत्री दोनों सीटों से व गोआ के मुख्य मंत्री हार गये हैं .
ऐसे अवसरों पर मुझे अपने अग्रज स्व .आदर्श ' प्रहरी' की निम्नांकित पंक्तियां य़ाद आती हैं -
"जाने क्या हो गया अचानक ,
बदल गया संपूर्ण कथानक .
जो वैभव में पले -पुसे थे ,
अब तो लगता जैसे य़ाचक .
भाग्य बदलते उनके देखे ,
जो कि कभी थे भाग्य विधायक ,
बडा हो गया है शायद अब ,
.. परिवर्तन का नन्हा बालक ."
Saturday, March 11, 2017
राज्यों के चुनाव परिणाम
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