Monday, March 13, 2017

होली -मेरे लिये कभी न भूलने वाला पर्व

होली - मेरे लिये कभी न भूलने वाला पर्व
----------------------------------------------
      होली का पर्व  वैसे तो  सभी पर्वों में में सबसे अधिक 'उल्लास एवं मस्ती से मनाया जाने वाला त्योहार है पर उरई में हमारे कुटुम्ब की लगभग 125 वर्ष पुरानी परम्परा इसे हम सबके लिये विशेष बना देती है .मेरा आवास  उरई( ज़िला -जालौन ,उत्तर प्रदेश ) के राम नगर   मोहल्ले  में है .यहां मेरे कुटुम्ब( सक्सेंना परिवार ) के 15 परिवार रहते हैं .
     होलिका दहन के अगले दिन सभी परिवारों के पुरूष और बच्चे एक स्थान पर एकत्र होते हैं और फिर लगभग 40-50 लोगों का समूह  कुटुम्ब के प्रत्येक परिवार में जाता है जहां  सभी रंग भरी  होली खेलते हैं .देवर अपनी भाभियों को रंगों से रंग देते है .कोई भी बिना रंगे नहीं जाता .प्रत्येक परिवार का मुखिया अबीर ,गुलाल एवं पकवानों से सभी का स्वागत करता है .हर परिवार अपनी एक विशेष dish  के लिये जाना जाता है ज़िसका लोगों को  साल भर इंतजार रहता है.
      समय के साथ सामाजिक प्रतिमान भी बदल रहे हैं पर खुशी इस बात की है कि इस परम्परा के निर्वाह में नई पीढी भी पूरी दिलचस्पी रखती है . जो परिवार अकेले पति -पत्नी रह गये हैं ,या ज़िनके बच्चे अवकाश न मिलने ,दूरी या व्यस्तता के कारण नहीं आ पाते हैं ,उन्हें भी इस परम्परा के रहते अकेलापन  कम महसूस होता है .
       पिछले पचास वर्षों में हमारे कुटुम्ब के एक सदस्य श्री सुशील प्रकाश सक्सेंना ,ज़िनकी उपस्थिति से इस परम्परा में बडी जीवन्तता रहती थीं ,इस नश्वर संसार को छोड गये उनकी  कमी इस बार बहुत महसूस हुयी .परिवार की एक बहू  शालिनी के निधन से भी माहौल गमगीन रहा .
      

Saturday, March 11, 2017

राज्यों के चुनाव परिणाम

उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के चुनाव में नतीजों की स्थिति काफी स्पष्ट हो चुकी है .
    यू .पी .में नतीजे लोकसभा चुनाव 2014 की तरह चौकाने वाले रहे .अधिकतर लोगों( मुझे भी  )को त्रिशंकु विधान सभा की संभावना लग रही थी, पर जनता ने एक राष्ट्रीय दल भाजपा को प्रचंड बहुमत दिया .लोकतंत्र में जनादेश का सम्मान  किया जाना चाहिये .
     उत्तर प्रदेश के संदर्भ में देश में प्राय:यह धारणा रही है कि यहां की राजनीति जातिवादी व संप्रदायवाद से प्रभावित रहती  है .पर पिछले तीन  विधान सभा चुनावों में जनता ने राजनीतिक परिपक्वता प्रदर्शित करते हुए एक ही  दल को पूर्ण बहुमत दिया -2007में  बसपा को , 2012 में सपा तथा अब 2017 में भाजपा को . किसी दल को यह शिकायत नहीं रह सकती कि बहुमत  के अभाव  में वे काम नहीं कर पाये .लोकसभा में भी पूर्ण समर्थन एक दल भाजपा को मिला .
      हर अगला चुनाव पिछली सरकार के लिये जनता का एक  सबक  रहा .इसलिये विजय पर खुशियां मनाने के  साथ साथ इस तथ्य को भी  ध्यान रखना चाहिये .
     सभी राज्यों के चुनाव में यह बात भी द्रष्टव्य  रही कि  anti -incumbency  factor सभी जगह दिखाई दिया .लोग पिछली सरकार से असंतुष्ट रहे तो जो भी विकल्प उन्हें दिखा उसे उन्होने चुना .
     पर यह जनता की राजनीतिक  परिपक्वता का  द्योतक  है कि उसने राष्ट्रीय दलों पर आस्था जताई जैसे पंजाब  में कांग्रेस पर  ,यू .पी .व उत्तराखण्ड में भाजपा  पर .गोआ व मणीपुर में भी मुकाबला राष्ट्रीय दलों में ही हैं
       राष्ट्रीय दलों को यह भी सोचना चाहिये कि क्यूँ लोग क्षेत्रीय दलों के विकल्प को तलाशने लगते हैं .जो राष्ट्र की एकता के  हित में नहीं हैं .
         चुनाव में  बडे उलटफेर होते हैं .इतिहास बताता है कि इन्दिरा ज़ी व अटल बिहारी बाजपेयी जैसे लोकप्रिय नेता तक हार चुके हैं .इस बार भी उत्तराखण्ड के मुख्य मंत्री दोनों सीटों से व गोआ के मुख्य मंत्री हार गये हैं .
        ऐसे अवसरों पर मुझे  अपने अग्रज स्व .आदर्श ' प्रहरी' की निम्नांकित पंक्तियां य़ाद आती हैं -
"जाने क्या हो गया अचानक ,
      बदल गया संपूर्ण  कथानक .
        जो वैभव में पले -पुसे  थे ,
            अब तो लगता जैसे य़ाचक .
                भाग्य बदलते उनके देखे ,
                    जो कि कभी थे भाग्य विधायक ,
                        बडा हो गया है शायद अब ,
    ..                     परिवर्तन का नन्हा बालक ."