Sunday, April 22, 2018

आइये पृथ्वी को बचायें

     आज विश्व पृथ्वी दिवस है. यह प्रतीक है एक ऐसे दिवस का जब हम पृथ्वी को बचाने और उसके साथ हो रहे व्यवहार में बदलाव लाने की बात करते हैं.
      पहली बार, विश्व पृथ्वी दिवस को आज ही के दिन 22 अप्रैल, 1970 को मनाया गया था. उस दिन इसे मनाने के लिए दो लाख लोग जमा हुए थे. आज विश्व के 192 देश इस दिवस को मना रहे हैं.          
      इस दिवस की शुरुआत करने वाले अमेरिका के पूर्व सीनेटर गेराल्ड नेल्सन, इतने दूरदर्शी थे कि उन्होंने समय रहते ही पृथ्वी को संरक्षित करने पर लोगों को अपना पूरा ध्यान केंद्रित करने को कहा था. उनका मानना था कि अगर लोगों ने समय रहते पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया, तो पृथ्वी को नष्ट होने से कोई नहीं बचा सकता. उनकी सोच और चेतावनी को अगर समय रहते सभी समझ गये होते, तो आज पृथ्वी पर मंडरा रहा खतरा इतना बड़ा नहीं होता.
      इस दिवस को मनाने की शुरुआत जब की गयी थी, उस समय न तो ग्लोबल वार्मिंग के खतरे थे और न ही प्रदूषण की समस्या इतनी विस्फोटक हुई थी. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगले 50 साल में दुनिया उजड़ जायेगी. ‘इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (आइपीसीसी) के अध्ययन के मुताबिक, बीती सदी के दौरान पृथ्वी का औसत तापमान 0.28 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है. पृथ्वी के औसत तापमान में हो रही यह वृद्धि जलवायु और मौसम प्रणाली में व्यापक स्तर पर विनाशकारी बदलाव ला सकती है. जलवायु और मौसम में बदलाव के सबूत मिलने शुरू हो चुके हैं. भू-विज्ञानियों ने खुलासा किया है कि पृथ्वी में से लगातार 44 हजार बिलियन वाट ऊष्मा बाहर आ रही है.   आइपीसीसी रिपोर्ट की मुख्य बातें पिछले 12 वर्षों में से 11 को सबसे गर्म सालों में गिना गया है 1850 के बाद से. पिछले 50 वर्षों की वार्मिंग प्रवृत्ति लगभग दोगुना है पिछले 100 वर्षों के मुकाबले. समुद्र का तापमान 3000 मीटर की गहराई तक बढ़ चुका है. समुद्र जलवायु के बढ़े हुए तापमान की गर्मी का 80 प्रतिशत सोख लेते हैं. भूमध्य और दक्षिण अफ्रीका में सूखे की समस्या बढ़ती जा रही है. अंटार्टिका में बर्फ जमे हुए क्षेत्र में 7 प्रतिशत की कमी हुई है जबकि मौसमी कमी की रफ्तार 15 प्रतिशत तक हो चुकी है. उत्तरी अमेरिका के कुछ हिस्से, उत्तरी यूरोप और उत्तरी एशिया के कुछ  हिस्सों में बारिश ज्यादा हो रही है. पश्चिमी हवाएं बहुत मजबूत हो रही हैं. सूखे की रफ्तार तेज होती जा रही है, भविष्य में यह ज्यादा लंबे वक्त तक और ज्यादा बड़े क्षेत्र में होंगे.

Thursday, April 12, 2018

बेवकूफ नहीं है जनता.


              गॉधी जी का उद्देश्य उपवास के माध्यम से अंतर्मन को शुद्ध करना था......वे राजनीति में नैतिकता व शुद्धता  चाहते थे....अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिये वे पवित्र व नैतिक साधनों को अपनाने के हिमायती थे......................
.....................पर आज की मौकापरस्त व संवेदनहीन राजनीति में मजाक बना दिया गया है उपवास को ....................................
......................पर ग़लतफहमी है आपको सियासतदानों ! ......जनता इतनी बेवकूफ नहीं है जितना तुम समझते हो....... वह समय पर माकूल जबाब देती है सबको....