Sunday, August 1, 2021

सही अर्थों में आधुनिक भारत के निर्माता थे लोकमान्य तिलक


        आज  "स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है...." के महान नारे का उदघोष करने वाले, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि है.
        तिलक को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जा  सकता है. उन्होंने स्वाधीनता संघर्ष के साथ साथ लोगों में जागरूकता लाने और उनके विकास के लिए शिक्षा पर बहुत बल दिया था.
         स्वाधीनता संघर्ष में  कांग्रेस में  'लाल-बाल-पाल ' का एक यादगार युग रहा है .  तिलक इस त्रिवेणी के एक प्रमुख सदस्य थे. 'केसरी  एवं 'मराठा' समाचार पत्रों के माध्यम से उन्होंने जन जागरूकता का महान कार्य किया.
उनका सार्वजनिक जीवन 1880 में एक शिक्षक के रूप में आरम्भ हुआ.
          तत्कालीन भारत के उस समय के वाइसरॉय लॉर्ड कर्ज़न ने जब सन 1905 में बंगाल का विभाजन का निर्णय लिया, तो बंगाल में इस विभाजन को रद्द कराने के लिये आंदोलन शुरू हो गया. तिलक 'बंग भंग' का मुखर विरोध किया और ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार की अपील की और यह आंदोलनएक देशव्यापी आंदोलन बन गया.
         भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नरम पंथी गुट से तिलक सहमत नहीं थे. तिलक के विचार उग्र थे. ननरपंथी छोटे सुधारों के लिए सरकार के पास वफ़ादार प्रतिनिधिमंडल भेजने में विश्वास रखते थे जबकि  तिलक का लक्ष्य स्वराज्य था, छोटे- मोटे सुधार नहीं और उन्होंने कांग्रेस को अपने उग्र विचारों को स्वीकार करने के लिए राज़ी करने का प्रयास किया. इस मामले पर 1907  में कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में नरम दल के साथ उनका घोर वादविवाद हुआ. इस अधिवेशन में कांग्रेस 'गरम दल' और 'नरम दल' में विभाजित हो गई. गरम दल में तिलक के साथ लाला लाजपत राय और बिपिन चन्द्र पाल शामिल थे. ये तीनों को ' लाल-बाल-पाल ' के नाम से इतिहास में प्रसिद्ध हैं.
         1908 में तिलक ने क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया जिसके कारण सरकार ने उन पर राजद्रोह का आरोप लगाकर मुकदमा चलाया. तिलक का मुकदमा मुहम्मद अली जिन्ना ने लड़ा. परंतु तिलक को 6 वर्ष कैद की सजा सुना दी गई और  मांडले (तत्कालीन बर्मा ,वर्तमान म्यांमार) भेज दिया गया. जेल से छूटकर वे फिर कांग्रेस में शामिल हो गए और 1916-18 में ऐनी बेसेंट और मुहम्मद अली जिन्ना के साथ उन्होंने 'अखिल भारतीय होम रुल लीग' की स्थापना की. तिलक का स्पष्ट मत था -"स्वराज हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा."
1916 में मुहम्मद अली जिन्ना के साथ उन्होंने 'लखनऊ समझौता' किया, जिसमें स्वातंत्र्य संघर्ष में हिन्दू- मुस्लिम एकता का प्राविधान था.
         तिलक 'बाल विवाह' के विरुद्ध थे उन्होंने अपने कई भाषणों में इस सामाजिक कुप्रथा का विरोध किया. वह एक अच्छे लेखक भी थे. उनका  जेल में लिखा 'गीता रहस्य''  गीता पर एक अत्यंत उत्कृष्ट भाष्य है  . मराठी में 'केसरी' और अंग्रेज़ी में 'द मराठा' समाचार पत्रों के माध्यम से  अपने लेखों से लोगों की राजनीतिक चेतना की अलख  जगाने का कार्य किया .
         तिलक ने बंबई में अकाल और पुणे में प्लेग की  महामारी के समय इसके विरुद्ध संघर्ष में सक्रिय भूमिका निभाई जिसकी वजह से लोगों के हृदय में उन्होंने एक अविस्मरणीय स्थान बना लिया था.
         1 अगस्त, 1920 को मुंबई में लोकमान्य तिलक का निधन हो गया. उन्हें श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुये गाँधी जी ने उन्हें 'आधुनिक भारत का निर्माता ' बताया. पं जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें ' भारतीय क्रांति के जनक' कहा. तिलक सही अर्थो में आधुनिक भारत की नींव रखने वाले पुरोधा थे.
         पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि.
                        🙏🙏🙏