Saturday, August 29, 2020
असाधारण प्रतिभा के धनी मेजर ध्यान चंद
Wednesday, August 26, 2020
लोक पर्व 'राधा अष्टमी'
Friday, August 21, 2020
'वरिष्ठ नागरिक दिवस ' और हमारे दायित्व
आज ' विश्व वरिष्ठ नागरिक दिवस ' है. इसे प्रति वर्ष 21 अगस्त को मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका (U S A) में हुई थी और अब विश्व के अधिकतर देशों में इसे मनाया जाता है.
1935 में अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रेंक्लिन रोसवैल्ट ने 'सामाजिक सुरक्षा अधिनियम ' पर हस्ताक्षर किये थे , जिसके अनुसार ' नेशनल सीनियर सिटीजन डे' 14 अगस्त को मनाया जाता था. 1988 तक इसे 14 अगस्त को ही सेलिब्रेट किया गया.
1988 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने 21 अगस्त को 'नेशनल सीनियर सिटीजन डे' घोषित किया. इसका मुख्य उद्देश्य अमेरिका में उन वरिष्ठ नागरिकों को, जो अपने समुदायों में सकारात्मक योगदान देते है, सम्मान देना है.
कोई भी देश क्यूँ न हो, हर जगह बुजुर्गों को आदर देना सामाजिक संस्कृति है. भारतीय संस्कृति में तो बुजुर्गों को परिवार में सदा से ही महत्व मिलता रहा है. उनसे पूछे बिना घर में कोई कार्य नहीं होता था. संयुक्त परिवारों में बुजुर्गो अनुभव और सबका साथ सामाजिक जीवन को सुगम बना देता था. बड़ों की छाँव में बच्चे कब बड़े हो जाते थे, माता पिता को पता ही नहीं चलता था. बुजुर्गों का जीवन भी हँसी खुशी से कट जाता था.
अमेरिका व पश्चिमी देशों में बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में रखने की परंपरा पड़ी. जिसका प्रभाव अब भारत में भी दिख रहा है. संयुक्त परिवार लगभग टूट ही चुके हैं. जीविका के लिये संघर्ष बढ़ा है. उपभोक्तावाद ने लोगों की महत्वाकांक्षाओं में इजाफा किया है. धन प्राप्ति की होड़ ने परंपरागत मूल्यों को समाप्त कर दिया है. आज एकल व स्वकेंद्रित परिवारों का युग है जिसमें बुजुर्गों की भावनाओं को समझने का किसी के पास समय ही नहीं है. बच्चे अपने जॉब व लाइफ में इतने व्यस्त होते हैं कि परिवार के बुजुर्गों पर ध्यान देने का उन्हें समय ही नहीं मिलता. जिसके कारण वरिष्ठ लोग या तो घर में अकेले रहते है, या साथ पाने के लिए वृद्धाश्रम चले जाते है. कुछ ऐसेे भी परिवार होते हैं जहाँ बच्चों को बड़े बोझ लगने लगते हैं.
'सीनियर सिटीजन डेे' मनाने से लोगों को एक दिन मिल जाता है अपने बड़ों को याद करने और उन पर ध्यान का. इसके साथ ही बुज़ुर्ग वर्ग को उनके परिवार के साथ समय बिताने का एक दिन मिल जाता है.
वृद्धावस्था में औषधि से अधिक अपनों के साथ की जरूरत महसूस होती है. बुजुर्ग बस यही चाहते है कि उनको सम्मान मिले, उनको वह महत्व मिले जिसके वो अधिकारी है. उम्र के इस दौर में जब शरीर भी उनका साथ नहीं देता है, ऐसे में उनको मानसिक संतुष्टि उनके लिए संजीवनी होती है. यदि उनसे, उनके जीवन के कुछ पुराने किस्से पूछें, उनके गर्व क्षण के बारे में उनसे पूछे, उनकी बातों को ध्यान से सुन उनकी सराहना करें. उनकी पसंदीदा जगह पर ले जाएँ, उनके जीवन के व्यक्तिगत पलों को जानने में दिलचस्पी दिखायें, तो उन्हें तो अच्छा लगेगा ही साथ ही आप भी समझ पायेंगे कि रिश्तों को कैसे निभाया जाता है, रिश्ते में मजबूती कैसे लाई जाती है.
वरिष्ठों के लंबे अनुभवों हम बहुत सीख सकते हैं. यदि कभी वृद्धाश्रम जाकर सभी बुजुर्गों के साथ समय बितायें और किसी मनोरंजन कार्यक्रम का आयोजन करें, तो आप पायेंगे कि बुजुर्गों तो आनंदित होंगे ही, स्वयं को भी बहुत आत्म संतुष्टि मिलेगी. वरिष्ठ जनों के लिए एक ' फिजिकल टच' औषधि की भाँति होता है. उन्हें गले लगायें, इससे उनका तनाव कम होगा, साथ ही उनके अंदर आत्मविश्वास जागेगा.
ध्यान रखें कि बुजुर्गों को अपने नाती- पोतों (grantchildren) के साथ समय बिताना बहुत ही प्रिय होता है. आज की युवा पीढ़ी को इस बात को समझना चाहिये. यदि आपके परिवार के बुजुर्ग आपसे दूर हैं,तो समय निकाल कर ऐसे अवसर परिवार के बड़ों को उपलब्ध कराते रहना करना चाहिये. आज कल तो वीडियो काल की सुविधा हो गयी है.
यदि आपके परिवार में कोई वरिष्ठ नहीं है, तो अपने घर के आस-पास , किसी पार्क में किसी भी बुजुर्ग से दोस्ती करें, उनके लिए आपकी एक मुस्कुराहट ही पर्याप्त होगी. कभी बिना बताये अपने किसी बुजुर्ग अध्यापक या परिचित से मिलने जायें. आपको अचानक देखकर उनकी प्रसन्नता का आप अनुमान नहीं लगा सकेंगे.
केवल आज के दिन ही नहीं यदि बुजुर्गों के प्रति परवाह को आप सामाजिक दायित्व समझना शुरू कर दें, यह आपको प्रसन्नता एवं आपके व्यक्तित्व एक गरिमा प्रदान करेगा. केवल युवा पीढ़ी को ही नहीं, बल्कि जो वरिष्ठ जनों की श्रेणी में तुरंत शामिल हुये हैं, उन्हें भी अपने वरिष्ठतम जनों के प्रति यही व्यवहार करने के लिए कार्य करना चाहिये.
सभी वर्तमान और भावी वरिष्ठों को ढेरों शुभकामनाएं.