प्रधानमंत्री जी ने सारे राजनीतिक पूर्वानुमानों को ध्वस्त करते हुये सुश्री निर्मला सीतारमण को देश का रक्षा मंत्री बना दिया. वे देश की पहली पूर्णकालिक महिला रक्षा मंत्री हैं .इससे पहले स्व. इन्दिरा गान्धी कुछ समय रक्षा मंत्री रही थीं.
निर्मला जी भारत के कई राज्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं. इनका जन्म तमिलनाडू में हुआ. वे केरल से स्नातक हैं. इनकी ससुराल आंध्र में है और संसद में वे कर्नाटक दे राज्य सभा की सदस्य हैं .जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ,नई दिल्ली में भी उन्होने शिक्षा ग्रहण की.
नितिन गडकरी जब भाजपा के अध्यक्ष थे, तब पहली बार उन्हें भाजपा का प्रवक्ता बनाया गया. जिसका उन्होने बखूबी निर्वाह किया. उसके बाद उन्होने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. मोदी जी के मंत्रिमंडल में वे कैबिनेट मन्त्री बनी. उनकी क्षमता व कुशलता के कारण मंत्रिमंडल के हाल के फ़ेरबदल में उन्हें रक्षा मंत्री जैसा महत्वपूर्ण पद दिया गया. उन्हें ढेरों शुभकामनाये.
इसे महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी एक बडे कदम के रूप में भी देखा जा सकता है. महिलायें अब पुरुषों के काम करने लगी हैं.भले ही मोदी जी की अपनी पत्नी को साथ न रखने पर आलोचना होती हो पर इस देश की सरकार में विदेशमंत्री व रक्षा मंत्री महिलायें हैं.और गृहमंत्री पुरूष.यह मोदी जी के मंत्रिमंडल की विलक्षण विशेषता दृष्टिगोचर हो रही है.
Sunday, September 3, 2017
देश की नई रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण
Saturday, August 26, 2017
जेल में बाबा ---हिंसा से सकते में सरकार
भारत में तथाकथित बाबाओं की काली करतूतों की श्रृंखला में बाबा 'रामरहीम' का नाम आज सबसे ऊपर है . वोटों के लालच में राजनेताओं का इन बाबाओं से प्रेम जग जाहिर हो चुका है. पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी उनके भक्तों को एकत्र होने देना और जैसी कि आशंका थी, कोर्ट के फैसले के बाद हिंसा होना ,सरकार की नाकामी का सूचक है. हाईकोर्ट ने पुन: सरकार को फटकार लगाते हुये कहा कि उसने राजनीतिक लाभ की दृष्टि से हिंसा होने दी.
अब रामरहीम जेल में हैं. कोर्ट ने सरकार को उनकी संपत्ति जब्त करने व उससे हिंसा में हुये नुकसान की भरपायी करने का आदेश दिया है.
हद तो यह है कि कुछ महाराज टाइप के सांसद इन बाबा के मामले में न्यायपालिका को कोस रहे हैं. उनका कहना है कि न्यायपालिका को निर्णय देते समय जनभावनाओं का ध्यान रखना चाहिये .यह सांसद भाजपा के हैं और विवादास्पद बयान देने में माहिर हैं. बयान देते समय वे यह भी भूल गये कि इस प्रकरण की सी.बी.आई. जॉच का आदेश उनकी पार्टी के इतिहास पुरुष पूर्व प्रधानमंत्री श्रीअटल बिहारी बाजपेयी ने ही दिये थे.
सच तो यह है कि न्यायपालिका ही इस देश के संविधान को बचाये हुये है,वरना राजनेता तो वोटों के लालच में देश का बंटाधार ही कर दें.
लोकप्रिय कवि प्रदीप ने छह दशक पहले अपने गीत 'कितना बदल गया इंसान ' गीत में निम्नांकित पंक्तियॉ लिखी थीं वे आज उस समय से अधिक प्रासंगिक सिद्ध हो रहीं हैं.
"राम के भक्त रहीम के बंदे,
रचते आज फ़रेब के फंदे.
कितने ये मक्कार ये अंधे,
.देख लिये इनके भी धंधे.
इन्हीं की काली करतूतों से
बना ये मुल्क मशान.
कितना बदल गया इंसान।"
Tuesday, August 22, 2017
भारत में मुस्लिम महिलाओ की बड़ी विजय : सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया
आज 22अगस्त 2017 का दिन भारत में मुस्लिम महिलाओ के लिये ऐतिहासिक दिन बन गया, जब सर्वोच्च न्यायालय की 5सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने सायरा बानो जी की याचिका पर बहुमत से निर्णय देते हुए तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया. भारत तीन तलाक पर रोक लगाने वाला २३वॉ देश बना.पडोसी देश पाकिस्तान व बॉगला देश में पहले से इस पर रोक है.
इस निर्णय में तीन न्यायाधीशों जस्टिस रोहिंगटन ,जस्टिस कुरियन, जस्टिस ललित ने तीन तलाक को असंवैधाानिक बताया और दो न्याया़धीशों चीफ जस्टिस खैहर व जस्टिस नजीर ने इस पर कानून बनाने की बात कही.संवैधानिक पीठ में बहुमत का निर्णय ही अंतिम निर्णय माना जाता है.
यह निर्णय धर्म के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के शोषण को रोकने में मील के पत्थर की तरह है. सारे देश में विशेषकर मुस्लिम महिलाओं के द्वारा इस निर्णय का तहेदिल से स्वागत किया जा रहा है. यह एक मानवीय व ऐतिहासिक निर्णय है.
Saturday, August 19, 2017
फ़ोटोग्राफ़र दिवस पर स्व. गान्धी राम ' फ़ोकस' जी की याद
आज सुबह जैसे ही मैने फ़ेसबुक पर नज़र डाली तो उरई IPTA के सचिव राज पप्पन की पोस्ट पर नज़र गयी जिसमे उन्होंने आज फ़ोटोग्राफ़र दिवस पर सभी फ़ोटोग्राफ़र भाइयों को बधाई दी थी.
इस पोस्ट को पढ़ कर मेरा मन अपने नगर उरई के अतीत में चला गया.इस वर्ष ही मैने अपनी सेवा से अवकाश प्राप्त किया है. बचपन में आज से लगभग पचपन वर्ष पूर्व उरई के अतीत की स्मृतियॉ मानस-पटल पर आने लगीं , जब नगर में यहाँ के माहिल तालाब के सामने दो ही फ़ोटो स्टूडियों ही थे. पहला 'रमेश फ़ोटो स्टूडियो ' जो फ़ोटोग्राफ़र श्री रमेश चन्द्र सक्सेना का था .वे अपने चाचा श्री गुट्टू सक्सेना व भाई श्री अवधेश चन्द्र सक्सेना के साथ बैठते थे.
दूसरा फ़ोटो स्टूडियो 'फ़ोकस फ़ोटो स्टूडियो 'फ़ोटोग्राफ़र श्री गान्धी राम गुप्त का था जो आज भी है.
गॉधी राम जी हास्य व व्यंग्य के समर्थ कवि थे. पहले उनका मूल नाम 'नाथू राम गुप्त ' था. पर जब १९४८ में नाथू राम गोडसे ने गॉधी जी की हत्या कर दी तो वे अपना नाम 'गॉधी राम ' लिखने लगे.
फ़ोकस जी का व्यक्तित्व बडा प्रभावशाली था. गेरुआ वस्त्र व डाढी में वे एक साधु लगते थे.वे स्वयं योगासन में विश्वास करते थे और प्रसार भी.कई लोगों को योगासन सिखा कर उन्होंने उन्हें स्वास्थ्य लाभ कराया था.वे वाकई एक संत थे एवम् अत्यन्त सरल व नेक व्यक्ति थे.
वे अत्यन्त विनोदी स्वभाव के थे. वे हास्य एवं व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर थे. होली के पर्व पर ऐतिहासिक माहिल तालाब के किनारे 'मूर्ख दिवस' मनाने की शुरुआत उन्होने ही की थी. यह परम्परा आज भी कायम है.
उनकी दूकान पर जाते ही विनोदी वातावरण महसूस होने लगता था. सरल शब्दों में गंभीर बात कहना उनकी विशेषता थी.अपनी दूकान के सामने उन्होने अपनी चार पंक्तियॉ लिखा रखी थीं -
"तन, लडकपन औ जवानी,
सब धरा रह जायेगा.
यादगारी के लिये,
फोटो .फकत रह जायेगा."
उनकी दूकान पर लिखी चार पंक्तियॉ भी याद आतीं हैं-
" जैसी फोटो ,वैसे दाम,
फोटोग्राफर गॉधीराम."
मेरे पिता श्री के.डी.सक्सेना एवं अग्रज आदर्श कुमार 'प्रहरी' भी कवि थे.फोकस जी अक्सर उनसे मिलने घर पर आते थे. मैने उनके मुख से उनकी कुछ कवितायें सुनी हैं.
उनके दो गीत बडे प्रसिद्ध रहे हैं--
"यदि हम सबने अपना -अपना
धर्म ,न छोडा होता,
'पुष्पक विमान की जगह,
आज क्यों तॉगा,घोडा होता"
(उस समय तॉगे व घोडे ही उरई में चलते थे )
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" हे! गुम्मा तेरा यश महान"
आज फ़ोटोग्राफ़र दिवस पर जनपद के इस महान व्यंग्यकार को शत् शत् नमन.
Wednesday, August 9, 2017
अगस्त क्रांति -भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्ठभूमि
अगस्त क्रांति का हमारे स्वाधीनता आंदोलन के संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान था. यह आंदोलन इस अर्थ में महत्वपूर्ण था कि इसे देश भर की जनता का अभूतपूर्व समर्थन मिला.
1942 मे मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद काँग्रेस के अध्यक्ष थे।बंबई मे काँग्रेस अधिवेशन चल रहा था। 8 अगस्त 1942 को गांधीजी ने काँग्रेस मंच से 'अंग्रेज़ो भारत छोड़ो' तथा ' करो या मरो ' का नारा देकर सारे देश मे ब्रिटिश शासन के खिलाफ बिगुल बजा दी थी।
ब्रिटिश शासन ने अपना दमन चक्र चलाया और 8 अगस्त की रात्रि तक काँग्रेस के सारे प्रमुख नेता गिरफ्तार कर लिए गए , जिसमे महात्मा गांधी,जवाहर लाल नेहरू और तत्कालीन काँग्रेस अध्यक्ष मौलाना आज़ाद भी थे।कॉंग्रेस कार्यक्रम के अनुसार 9 अगस्त को काँग्रेस अध्यक्ष मौलाना आज़ाद को बंबई के 'गवालिया टेंक मैदान' मे काँग्रेस का झण्डा फहराना था। काँग्रेस के नेताओ मे जय प्रकाश नारायण,डॉ राममनोहर लोहिया,अरुणा आसफ अली ऐसी काँग्रेस नेता ब्रिटिश पकड़ के बाहर थे.
'अरुणाआसफ अली' बम्बई मे थी।उन्होनेे 'विक्टोरिया टर्मिनल स्टेशन 'मे मौलाना आज़ाद को एक विशेष रेल गाड़ी मे खिड़की के पास बैठे देखा। उन्हे 8 अगस्त की रात्रि मे गिरफ्तार कर ब्रिटिश प्रशासन रेल द्वारा अन्यत्र भेज रहा था। अरुणाजी ने जब मौलाना आज़ाद को पुलिस पहरे मे देखा तो उनकी समझ मे पूरी बात आ गई और वे चिंतित हो गई कि 'गवालिया टेंक मैदान' मे काँग्रेस झण्डा किस प्रकार फहराया जाएगा।स्टेशन मे उनके साथ काँग्रेस के बड़े नेता भूलाभाई देसाई के पुत्र धीरु भाई भी थे।उन्होने धीरु भाई को अबिलंब उन्हे अपनी कार से ग्वालिया टेंक मैदान पहुंचाने को कहा।
जब वे वहाँ पहुंची तब उन्होने देखा कि वहाँ होनेवाली काँग्रेस जन सभा को धारा 144 के तहत अवैध घोषित कर दिया गया है ।एक गोरा सार्जेंट ने भीड़ को मैदान से हट जाने के लिए दो मिनट का समय देने की घोषणा कर रहा था और साथ यह भी कह रहा था कि अगर भीड़ निर्धारित समय मे नहीं हटी तो बल प्रयोग कि९या जाएगा। अरुणा आसफ अली जी ने न आव देखा और न ताव , वे फुर्ती से मंच पर चढ़ी और तिरंगे को फहरा दिया।यह काम इतनी जल्दी से हुआ कि एकत्र पुलिस को कुछ समझ मे नहीं आया कि क्या हो गया।
अरुणा जी जिस फुर्ती से मंच पर चढ़ी,उसी फुर्ती से झण्डा की डोर खींच मंच से उतर भीड़ मे गायब हो गई।इधर पुलिस ने भीड़ को तितर वितर करने के लिए आँसू गैस छोड़ने शुरू किया, तब तक अरुणा जी पुलिस की निगाह से बहुत दूर जा चुकी थी।
नेताओं की गिरफ्तारी की सारे देश में जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई.देश के कई शहरों में लोग सडकों पर उतर आये. 9अगस्तको कई जगह पर गोलियॉ चलीं जिसमें कई लोग शहीद हुये. जयप्रकाश जी,अरुणा आसफ अली व लोहिया के नेतृत्व में आंदोलन चलता रहा. दमन चक्र तेजी से चला. पर अंग्रेजों को यह महसूस हो गया कि अब वे अधिक समय तक भारत को गुलाम नहीं रख पायेंगे.
Sunday, July 9, 2017
श्री गुरवे नम :
आज गुरु पूर्णिमा है. आज हम सभी अपने उन गुरुओ का स्मरण करते हैं जिन्होने हमें अच्छे संस्कार दिये और हमारे जीवन को सॅवारा.
मैं उन सौभाग्यशाली व्यक्तियों में से हूँ जिसे प्रारम्भ से ही विराट व्यक्तित्व के गुरुवर मिले .माता पिता तो प्रथम गुरु होते ही हैं .पर मेरी माताजी श्रीमती परमेश्वरी सक्सेना मेरी प्राथमिक कक्षा में अध्यापिका रहीं ज़िनकी संस्कारजनित शिक्षा का गहारा प्रभाव मुझ पर पड़ा .मेरे पिता श्री कृष्ण दयाल सक्सेना जी माध्यमिक कक्षाओ मेंमेरेशिक्षकरहेज़िनकाEnglish ,maths ,संस्कृत पर पूरा अधिकार था .उनसे मैं भी लाभान्वित हुआ .श्री जगत नारायण पांडे जी की शिक्षण शैली भी बहुत प्रभावी था .श्री गिरिजा शंकर गौड भी maths के बड़े ही विद्वान शिक्षक थे.
स्नातक शिक्षा के लिये मैने दयानन्द वैदिक कालेज में प्रवेश लिया .मुझे संस्कृत के गुरुवर प्रो .रक्षाकर दत्त ने बहुत प्रभावित किया .वे एक अत्यंत विद्वान व स्नेही व्यक्तित्व थे .डा. यामिनी जी भी बड़ी स्नेही थीं .परास्नातक शिक्षा में डा .उदय नारायण शुक्ल जी विलक्षण शिक्षक थे .वे मेरे जीवन के भी प्रमुख शिल्पी रहे .एक विद्वान , सिद्धांतवादी ,ऊपर से दिखने में कठोर पर निर्मल हृदय वाले व्यक्ति थे वे. मेरे ऊपर उनका अपार स्नेह व आशीर्वाद रहा .डा. जय दयाल जी की अध्यापन शैली बड़ी ही मौलिक, तर्कपूर्ण एवं विनोदी थी जिसे कोई भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था . मेरे उपरिउल्लिखित शिक्षको में वे ही इस समय 92 वर्ष की अवस्था में भी उत्साही दिखते हैं.
मैं आज अपने उक्त सभी गुरुजनो को अपनी विनम्र श्रद्धा निवेदित करता हूँ.
Monday, July 3, 2017
स्मृतियों की बहुमूल्य थाती एवम् नई पारी की शुरुआत
महर्षि उद्दालक ऋषि की तपोभूमि उरई (जिला-जालौन,उ.प्र. ) तथा अपने समय के सफ़ल कूटनीतिक राजा माहिल के किले पर स्थित दयानंद वैदिक कालेज में लगभग 42 वर्ष 10 माह का सेवाकाल पूर्ण करने के बाद कल 30 जून 2017 को मैं सेवा निवृत्त हो गया. आज लग रहा है कि जैसे जीवन की नई पारी की शुरुआत हुई हो. पर बीते समय की स्मृतियाँ चलचित्र की भांति नेत्रों के सम्मुख आती जा रही हैं.
मेरा घर इस कालेज के पास ही है ,इसके प्रांगण में खेलते हुए बचपन बीता. पिताश्री बताते थे कि इसमें कालेज की स्थापना में स्व. मूल चन्द्र अग्रवाल के दान एवं संस्थापक प्राचार्य स्व. किशोरी लाल खरे, प्रबन्ध समिति के संस्थापक अवै. मन्त्री स्व. रमा शंकर सक्सेना, अध्यक्ष स्व. बैजनाथ गुप्त,स्व.श्याम सुन्दर पुरवार, स्व. चतुर्भुज शर्मा के श्रम व सहयोग का विशेष योगदान रहा. परमसंत पूज्य भवानी शंकर (चच्चाजी) ने भी इसके विकास योगदान दिया.
बचपन से कालेज की गतिविधियाँ देखी हैं. किशोरी लाल जी के समय student union के लिये आंदोलन चला. श्री कैलाश पाठक पहले president बने.1962 के चीनी आक्रमण के समय छात्रसंघ के पदाधिकारियों ने जूते पालिश कर एवं रिक्शा चला कर धन एकत्र कर प्रधानमंत्री सहायता कोष में जमा किया था. बाल मन के लिये यह गतिविधियाँ कौतूहलपूर्ण होती थीं.बड़े भाई से सुनतेथे कि इस कालेज के अध्यापक बड़े ही योग्य हैं.
श्री किशोरी लाल खरे जी जब देहावसान हुआ पूरे में ऐसा शोक छा गया जैसे कि किसी राष्ट्रीय व्यक्तित्व का निधन हो गया हो. उनके उत्तराधिकारी के रूप में डा. बृजवासी लाल श्रीवास्तव जी प्राचार्य के रूप में नियुक्त हुए. उन्हें सही अर्थो में इस कालेज जा शिल्पी कहा जा सकता है. उन्होंने महाविद्यालय में कार्य संस्कृति को लागू किया जिसका प्रभाव अब तक कालेज पर रहा है . वे छोटे कद के आत्मविश्वास से परिपूर्ण सौम्य चेहरे वाले विद्वान व्यक्तित्व थे. उन्होने कभी भी छात्रों की गलत मांगें नहीं मानी. छात्र घंटों उनका घेराव करते रहते थे पर वे हंसते हुए अपना कार्य करते रहते थे . उनका कार्यकाल इस कालेज का स्वर्ण युग माना जाता है.यह कालेज पहले आगरा विश्वविद्यालय से, उसके बाद कानपुर विश्वविद्यालय दे सम्बद्ध रहा. प्रतिवर्ष इस कालेज से university toppers निकलते थे जिसकी चर्चा विश्वविद्यालय में होती थी. उनके समय कालेज का अदभुत विकास हुआ एवं शिक्षा की गुणवत्ता शिखर पर पहुची.
मुझे भी इस कालेज में स्नातक व परास्नातक कक्षाओं में अध्ययन करने का अवसर मिला. जब मैं राजनीति शास्त्र में M.A .Final कर रहा था,तब विभाग में एक शिक्षक का पद रिक्त था.हम लोगों ने इसलिए पद पर शिक्षक की नियुक्ति की माँग करते हुए pen down strike कर दी.हम लोगों की गिनती पढ़ने वाले व अकादमिक कार्य करने में सक्रिय छात्रों में होती थी. प्राचार्य डा. लाल ने आकर हम लोगों को समझाया कि मै चाहता हूँ कि इसमें पद पर प्रथम श्रेणी प्राप्त शिक्षक की वे नियुक्ति करना चाहते हैं (उस समय पिछले चार वर्ष से-1970 से - कानपुर विश्वविद्यालय मे political science में प्रथम श्रेणी नहीं आ रही थीं.) यदि आप में से कोई प्रथम श्रेणी ले आये तो उसे वे नियुक्त करवा देगे. संयोग देखिये कि 1974 में कानपुर विश्वविद्यालय की M A (polical Science) की परीक्षा में मुझे प्रथम श्रेणी व विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ.बाद में convocation में मुझे उ.प्र. के तत्कालीन राज्यपाल chenna Reddy द्वारा Gold medal भी प्रदान किया गया .
मुझे याद है कि मेरा result 2सितम्बर 1974 को National Herald, lkwमें प्रकाशित हुआ. उस दिन saturday था. उसी दिन शाम को मेरे पास कालेज से Appointment Letter आ गया जिसकी भाषा थी-"you have appointed as lecturer in political science on adhoc basis. please join at once. " इस पत्र के अनुपालन में मैने 4 सितम्बर 1974 को join कर लिया . बाद में मुझे पता चला कि मेरे तत्कालीन विभाग प्रभारी मेरे गुरुदेव परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन डा.उदय नारायण शुक्ल जी ने प्राचार्य डा. लाल से कहा कि आपने छात्रों से कुछ वादा लिया था. इस पर प्राचार्य जी ने मन्त्री प्रबन्ध समिति स्व. मणींद्र जी से चर्चा की और तुरंत नियुक्ति पत्र निर्गत कर दिया . पहले लोग बात के कितने धनी हुआ करते थे.
कुछ समय बाद स्थायी चयन प्रक्रिया के समय श्रद्धेय मणींद्र जी,पूज्य बृज बिहारी जी, प्राचार्य लाल साहब, गुरुदेव डा. यू. एन. शुक्लजी ने जटिल परिस्थिति में मेरे चयन में जो भूमिका निभायी, उसके लिये मै आजीवन ऋणी रहूंगा. इन महान् आत्माओ को मेरा कोटि कोटि नमन.
अपने छात्र जीवन एवं सेवाकाल में कुछ ऐसे व्यक्तित्व हैं जिन्होने मुझे बहुत प्रभावित किया एवं अत्यन्त स्नेह दिया .परम स्नेही दत्ता साहब, डा. यू. एन. शुक्ल जी, डा.पी.एन .दीक्षित जी. डा.के .एस .शुक्ला जी,डा. जय दयाल सक्सेना जी,प्रो .आई.एस .सक्सेना जी.डा. प्रेम नारायण दीक्षित डा.बी.बी.जौहरी जी, श्री रमन साहब,ठा .तकदीर सिंह जी , डा. वी. के . श्रीवास्तव जी ,डा. मोहनलाल जी,डा.हरीश श्रीवास्तव जी ,डा.शारदा श्रीवास्तव जी, डा. राम गुलाम निगम जी,डा. बी. एन वर्मा जी, श्री आर. के. त्रिपाठी जी, श्री एल .एन .त्रिपाठी, डा. जे.पी. श्रीवास्तव जी, डा. राम स्वरूप खरे जी,डा. राम शंकर द्विवेदी जी, डा. दुर्गा प्रसाद खरे जी, डा. यामिनी जी, श्री गोपाल राव आठले जी.डा.जी सी.श्रीवास्तव.,डा. वी.के.पाठकजी,एस .पी.सक्सेनाजी,प्रो .ज़ियाउद्दीन,डा.एन .डी. समाधिया जी आदि.
अपने संघर्षशील साथी डा. के. पी. गुप्ता जी, डा. जी. एस. निरंजन जी., डा.कुलश्रेष्ठ जी , डा. सेंगर जी,डा. एस.पी. श्रीवास्तव जी, डा.बेग जी,डा. मानव जी,सत् चित् आनन्द जी,डा.राजेन्द्र पुरवार भी याद आते हैं जिनके समय शिक्षक संघ एक प्रभावी संगठन बना .
अपने समकालीन साथियो में डा.अभय जी,शर्मा जी, डा. सुभाष खुराना,डा. इन्द्रजीत निगम डा.पूरन सिह जी,डा.राज किशोर जी,डा.अनिल श्रीवास्तव जी,डा.राजेन्द्र निगम ,डा.शारदा अग्रवाल, डा. कांति श्रीवास्तव जी, डा.शैलेन्द्र जी ,डा.यू.एन.सिह ,डा.शरद जी,डा.राम लखन ,डा.अरूण श्रीवास्तव को भी भुलाना संभव नही.
कालेज के मेरे छात्र जीवन के साथी स्व. सत्य नारायणत्रिवेदी ,बडेभाईरवीन्द्रत्रिपाठीजी,ए .के .वर्मा ,ओ.पी.श्रीवास्तव,एम.पी. किलेदार जी, रामाकृष्णा,शील कुमार,प्रद्युम्नसेंगर,अभिमन्युसिह,नरेन्द्रजी,शारदाजी,आभामिश्र,मृदुला राठौर,रवि शंकर जी,शरद जी ,आदित्य मिश्र की याद सदैव स्मृति पटल पर अंकित रहती है.
कुछ समय पूर्व हम लोगो ने अपने दो बहुमूल्य सहयोगियो डा.वीणाजी एवम् डा.सत्य प्रकाश जी को खो दिया.इन्हे भूलना कभी संभव नहीं.
अपने सेवाकाल में मुझे अपने गुरुओ, सहयोगियो और विद्यार्थियो का अद्भुत प्यार व सहयोग मिला उसे व्यक्त करने के लिये मेरी शब्द सामर्थ्य पंगु हो रही है. मेरे विभाग के वरिष्ठतम साथियो -डा.शुक्ल जी, डा.जयदयाल जी,राजेन्द्र कुमार जी एवम् जयश्री जी-ने मुझे जहा अपरिमित स्नेह दिया वहा मेरे जूनियर साथी डा. रिपु सूदन जी का यादगार साथ रहा. वर्तमान में मेरी सहयोगी डा.नगमा खानम, जो मेरी student भी रही हैं, ने मेरी अपनी बेटी की तरह मेरा ध्यान रखा. वह एक कुशल teacher और hard worker है. उसे मेरी ढेरों शुभकामनाये
मेरेसाथNSSअधिकारीकेरूपमेंडा.आर .के .श्रीवास्तव जी एवं डा.वीरेन्द्र यादव रहे ज़िनके साथ यादगार समय बीता . डा.वीरेन्द्र यादव के प्रयासो से कालेज में सेमिनारो की श्रंखला व वैग्यानिक शब्दlवली आयोग की कार्यशालायें संपादित हुयी और जब तक वे कालेज में रहे अकादमिक माहौल समृद्ध रहा .
जब मै इस कालेज में अध्ययन करता था तब मैने कभी कल्पना भी न की थी कि यह विद्यालय में ही मेरा भविष्य निर्धारित है. मुझे इस कालेज में प्रवक्ता, रीडर, विभागाध्यक्ष एवं प्राचार्य के रूप में कार्य करने काअवसर मिला इसके लिये मै स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूँ और इसे अपने माता-पिता ,गुरुओ व बुजुर्गो तथा परमपिता परमात्मा के आशीष का सुफ़ल मानता हूँ.
प्राचार्य पद के दायित्व निर्वाह में मुझे Post NAAC छात्र असंतोष का सामना करना पड़ा.पर सभी साथियों एवं कार्यालयीन साथियों के सहयोग से उसे सुलझाने में सफ़ल हुआ. डा. राजेन्द्र निगम, डा. आनंद खरे, डा. डा. राम लखन, डा. राम प्रताप सिंह ,डा. मदन बाबू चतुर्वेदी , जैसे शिक्षक तथा कार्यालय के कर्मचारी अनन्त खरे, अरूण लाल, मुहम्मद.,जितेन्द्र यादव ,लेखराम ने विशेष रूप से सक्रिय रह कर सहयोग किया.
मेरे प्राचार्य काल में डा. तारेश भाटिया, डा. अलका पुरवार, डा. नीलम जी ,डा. सुरेन्द्र चौहान, डा. आनन्द खरे, डा. राम किशोर गुप्ता, डा. विजय यादव,डा. राम प्रताप, डा. मदन मोहन तिवारी , डा. आर. के. श्रीवास्तव, डा. शारदा जी,डा. परमात्मा शरण,श्री राजन भाटिया,डा. मन्जू जौहरी, डा. शैलजा,डा. दुर्गेश सिंह, डा. राजेश पालीवाल,डा. रमेन्द्र ,वर्षा राहुल एवं सभी कार्यालय के कर्मचारियो ने प्रशासनिक कार्यो के सम्पादन में मुझे जो सहयोग दिया ,उसके लिए मैं आभारी हूँ. मानदेय SFS पर कार्यरत हमारे युवा साथियो ने कालेज की प्रत्येक गातिविधि में सदा पूर्ण समर्पंण से कार्य किया ,मैं उनको शुभकामनायें देता हूँ .
मुझे खुशी है कि मेरे प्राचार्य काल में कार्यालय में 13 कर्मचारियो की नियुक्ति हुयी एवं 8 कर्मचारियो को प्रमोशन मिला. मैं भी इस प्रक्रिया में सहभागी रहा .
मैं अवै. मन्त्री जी का भी आभारी हूँ कि उन्होने मुझे अचानक इस कालेज का प्राचार्य नियुक्त किया और जब मैने प्राचार्य के दायित्व को छोड़ने की इच्छा प्रकट की, उन्होने मेरी समस्याओ पर गौर कर मुझे दायित्व से मुक्त किया जिसके परिणामस्वरूप मैं अवकाश ग्रहण से पूर्व अपने पारिवारिक दायित्वो जो पूर्ण कर सका .
बुन्देलखंड विश्वविद्यालय में भी मुझे लम्बे समय तक convener, Board of Studies(pol. sciencकe).member,Academic Council के रूप में कार्य करने काअवसर मिला.Executive
council के सदस्य तथा कला संकाय के सदस्य के रूप में कार्य करने का भी अवसर मिला.मैं विश्व विद्यालय के अपने मित्र डा.कमलेश शर्मा का भी ज़िक्र करना चाहूगा ज़िनकी मस्ती ,दबंगयी व सहयोग हम मित्रों के लिये गर्व का विषय रहा है .
मेरी सबसे बड़ी पूँजी मेरे विद्यार्थी हैं जिनके स्नेह से मै अभिभूत हूँ.पुराने विद्यार्थी आज भी सम्पर्क बनाये हैं .मैं उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ .
समाज में भी मुझको जो भी सम्मान ( उ .प्र.राजनीति परिषद का अध्यक्ष, भारत विकास परिषद उरई का संस्थापक अध्यक्ष ,सरगम ,उरई ग्रेटर जेसीज का अध्यक्ष सहित अनेक संस्थाओ में सहभगिता ) मिला है .वह इस कालेज में मेरी स्थिति के कारण है. मैं इस महाविद्यालय का सदैव ऋणी रहूंगा.
रिटायरमेन्ट मेरे लिये एक नई पारी की शुरुआत है.बस सभी का प्यार इसी तरह मिलता रहे .