Sunday, July 9, 2017

श्री गुरवे नम :

     आज गुरु पूर्णिमा है. आज हम सभी अपने उन गुरुओ का स्मरण करते हैं जिन्होने हमें अच्छे संस्कार दिये और हमारे जीवन को सॅवारा.
    मैं उन सौभाग्यशाली व्यक्तियों में से हूँ जिसे प्रारम्भ से ही विराट व्यक्तित्व के गुरुवर मिले .माता पिता तो प्रथम गुरु होते ही हैं .पर मेरी माताजी श्रीमती परमेश्वरी सक्सेना मेरी प्राथमिक कक्षा में अध्यापिका रहीं ज़िनकी संस्कारजनित शिक्षा का गहारा प्रभाव मुझ पर  पड़ा .मेरे पिता श्री कृष्ण दयाल सक्सेना जी माध्यमिक कक्षाओ मेंमेरेशिक्षकरहेज़िनकाEnglish ,maths ,संस्कृत पर पूरा अधिकार था .उनसे मैं भी लाभान्वित हुआ .श्री जगत नारायण पांडे जी की शिक्षण शैली भी बहुत  प्रभावी था .श्री गिरिजा शंकर गौड  भी maths के बड़े ही विद्वान शिक्षक थे.
       स्नातक  शिक्षा के लिये  मैने दयानन्द वैदिक कालेज में प्रवेश लिया .मुझे संस्कृत के गुरुवर प्रो .रक्षाकर दत्त ने बहुत  प्रभावित किया .वे एक अत्यंत विद्वान व स्नेही व्यक्तित्व थे .डा. यामिनी जी भी बड़ी स्नेही थीं .परास्नातक  शिक्षा में डा .उदय नारायण शुक्ल जी विलक्षण शिक्षक थे .वे मेरे जीवन के भी प्रमुख शिल्पी रहे .एक विद्वान , सिद्धांतवादी ,ऊपर से दिखने में कठोर पर निर्मल हृदय वाले व्यक्ति थे वे. मेरे ऊपर उनका अपार स्नेह व आशीर्वाद रहा .डा. जय दयाल जी की अध्यापन शैली बड़ी ही मौलिक, तर्कपूर्ण एवं विनोदी थी जिसे कोई भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था . मेरे  उपरिउल्लिखित शिक्षको  में  वे ही इस समय 92 वर्ष की अवस्था में भी उत्साही  दिखते हैं.
         मैं आज अपने उक्त सभी गुरुजनो को  अपनी विनम्र श्रद्धा निवेदित करता हूँ.

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