मैं अपने कुछ पुराने कागज देख रहा था कि मुझे अवतार सिंह 'पास' की एक पुरानी रचना हाथ लगी । मुझे लगा कि यह रचना जागरूक पाठकों के समक्ष अवलोकनार्थ आनी चाहिए .
अवतार सिंह 'पास' पजाब के प्रगतिशील कवि थे । . जब भारत में खालिस्तानी आतंकवाद चरम सीमा पर था तब वे उस विचारधारा से जुड़े थे जो आतंकवादियों के इरादों के खिलाफ संघर्ष कर रही थी । . उन्हें जान से मारने की धमकियाँ मिल रहीं थीं और बाद में उनकी हत्या भी कर दी गयी । इसी दौरान उनको बेटी होने की सूचना भी मिली । उन्होंने अपनी बेटी को संबोधित करते हुए एक काव्यात्मक ख़त लिखा जो आतंक के विरुद्ध लड़ी में न केवल उनके जज्बे को प्रदर्शित करता है वरन फिरकापरस्त ताकतों को भी बेनकाब कर लोगों को जागरूक करता है। इस दृष्टि से उनकी यह कविता एक शाश्वत दस्तावेज कही जा सकती है.
बाप, का ख़त बेटी कें नाम
बेटी तेरे जनम पै है स्वागत तेरा बहुत,
दादी से तेरी मुझको समाचार ये मिला ;
लेकिन वह ज्यादा खुश आयी नहीं मुझे,
लड़का न होने का उसे शायद रहा गिला।
अफ़सोस उसकी सोच पै बिलकुल नहीं मुझे ,
लड़की के साथ भेद ये सदियों से आया है ;
जड़ इसकी पूंजीवाद है ,सामंतवाद है ,
बेशक बुराइयों का यही तो निजाम है ।
शोषितजनों की मुक्ति ही बस मेरालक्ष्य है ,
संघर्ष कर रहा हूँ मैं,जालिम निजाम से;
मै चाहता हूँ ऐसा निजाम आये हिंद में ,
इज्जत हो आदमी की जहाँ उसके काम से ।
बेटी तेरा जनम हुआ है ऐसे वक्त पर ,
लथपथ है जबकि खून से पंजाब की जमीं;
फिरकापरस्त ताकतें करती हैं साजिशें ,
कैसे रहे सुकून स पजाब की जमीं ?
फिरकापरस्त ताकतें ,काली ये ताकतें ,
ये ताकतें हैं मौत की,सूचक विनाश की ;
लोगों को मजहबों के खेमे में बाँट कर ,
गुल करना चाहती हैं सभी किरणें आस की।
लड़ते हुए इनसे मैं मर भी गया तो क्या,
इस जंग में महान शहादत तो चाहिए ;
बलिदान चाहें जितने हों चिंता नहीं ,मगर,
इन काली ताकतों को क़यामत तो चाहिए।
शायद ही तुझको दे सकूँ मै तेरा हक़,मगर,
आदर्श मेरे तेरी धरोहर हैं कीमती ;
फिरकापरस्त लोगों से तू रहना सावधान ,
इंसानियत ही दुनियां में जेवर है कीमती।
पैगाम तेरे वास्ते मेरा यही है बस ,
हिन्दू बने,न सिक्ख,न मुसलमान तू बने ;
दहलीज पर जवानी की,जब तू रखे कदम,
मजहब न तेरा कोई हो ,इन्सान तू बने ।
Thursday, March 17, 2011
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pata nahi kab tak ladki ke liye ham royenge...
ReplyDeleteek umda rachna..
सुन्दर रचना है, बहुत दिनों बाद लिखने की बधाई
ReplyDeleteजय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड