आज राष्ट्रपिता महात्मा गॉधी की जयंती है.स्वाधीनता आंदोलन में गॉधी जी का एक युग रहा है.उन्होंने अंग्रेजों की दमनकारी नीति का मुकाबला सत्य,अहिंसा, नैतिकता व आत्मबल पर आधारित 'सत्याग्रह आंदोलन' के माध्यम से किया और ब्रिटिश सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर किया.
उन्होंने भारतीय जनता के मनोविग्यान को समझा था,जो किसी भी प्रकार की हिंसा व उग्रता को नापसंद करती थी,सामंजस्य ,भाईचारे व वसुधैव कुटुंबकम् में आस्था रखती थी और जिसे न समझ पाने के कारण भारत के क्रांतिकारी आंदोलन आम लोगों का समर्थन न पा पाने के कारण असफल हो गये और स्वाधीनता के अनेक नायकों को फॉसी पर चढ़ना पड़ा.
गॉंधी जी ने राजनीति में नैतिकता के मानदंडों का समावेश किया यथा- सत्य,अहिंसा,साधनों की पवित्रता,कथनी-करनी में अभेद,सर्व-धर्म-समभाव. उन्होने 'Example is better than precept'की उक्ति का अनुसरण कर इन सिद्धांतों को जीवन में उतारा था जिसके कारण वे आम जनता को आकर्षित करने में एवं उसे सत्याग्रह आंदोलन से जोड़ने में सफल हुये.गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर ने उन्हें 'महात्मा' कहा और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने उन्हें 'राष्ट्रपिता' कह कर संबोधित किया. पश्चिमी देशों के लिये गॉधी जी की शैली एक करिश्मे से कम न थी. उनकी सत्याग्रह की पद्धति का बाद में अनेक देशों के स्वाधीनता आंदोलन में प्रयोग हुआ.
गॉधीजी भारत के विभाजन के विरोधी थे.मौलाना आजाद भी इसी मत के थे. पर नेहरू व पटेल जैसे नेताओं ने विभाजन को स्वीकार कर लिया जिसका परिणाम आज भी भारत भोग रहा है. जब सारा देश स्वतंत्रता प्राप्ति का जश्न मना रहा था,गॉधी जी नोआखाली में सांप्रदायिक सदभाव स्थापित करने में जुटे थे.उन्होने आमरण अनशन भी शुरू किया जिसका व्यापक प्रभाव पड़ा.
30 जून 1948 को नाथूराम गोडसे ने गॉधी जी की हत्या कर दी और एक युग का अंत हुआ.उस समय पाकिस्तान रेडियो ने यह मर्सिया पढ़ा-
"ऐ कौम! न छूटेगा ,दामन से तेरे यह दाग ,
गुल तूने अपने हाथ से, अपना किया चिराग,
गॉधी को मार कर ,तूने तो तोड़ा है वह फूल,
तरसेगा. लहलहाने को एशिया का बाग."
देश के आज के राजनीतिक परिवेश में गॉधी जी केवल उपयोग की वस्तु रह गये हैं. उनके सिद्धांतों को तिलांजलि देकर उनके नाम को भुनाया जा रहा है. कांग्रेस ने भी यही किया और वर्तमान सरकार भी यही कर रही है.सरकार उनका नाम जप रही है और उसके समर्थकों का एक वर्ग उनकी निंदा व चरित्र हनन में लगा है.यह स्थिति निंदनीय है. गॉंधी देश का गौरव हैं और रहेंगे.
Monday, October 2, 2017
भारतीय स्वाधीनता के पुरोधा -महात्मा गांधी
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