आज दिल्ली में हुई मैराथन दौड़ में कई हस्तियों ने भाग लिया। फिल्म जगत से अभिनेत्री विपासा बसु एवं गुल पनाग ने भी हिस्सा लिया । आयोजन सफल रहा पर इस की गरिमा को ठेस तब पहुंची जब मीडिया चैनलों ने अभिनेत्री गुल पनाग की आपबीती टेलीकास्ट की । गुलपनाग का कहना था की दौड़ के दौरान कई लागों ने उनसे छेड़छाड़ की ।उनके शब्दों में ,"जिसको भी मौका मिला उसने हाथ मार दिया।" उन्होंने इसे दिल्लीवासियों की कुंठित मानसिकता बताते हुए कहा कि उन्होंने सात साल पहले दिल्ली छोड़ी थी और उन्हें उम्मीद थी कि यहाँ के लोग ,जो कामनवेल्थ गेम जैसा आयोजन गरिमापूर्ण तरीके से कराचुके हैं , अब कुछ बदले होगे ,पर उनकी मानसिकता जस की तस है । लगता है सात साल पहले भी उन्हें कुछ इसी प्रकार की स्थिति झेलनी पड़ी होगी । उन्होंने मुंबई के माहौल को अधिक श्रेष्ठ बताया ।
गुल पनाग का यह बयान दिल्लीवासियों के मुँह पर तो करारा तमाचा है ही ,केंद्र एवं राज्य सरकार के लिये भी शर्मिन्दिगी की स्थिति उत्पन्न करता है । दिल्ली में आपराधिक तत्व बेलगाम हो रहे है ,पर मैराथन में तो देश के सभ्य एवं ख्यातिप्राप्त लोग भाग ले रहे थे । यदि किसी ट्रेन या बस में यह घटना होती इसे सामान्य वाकया कह कर टाला जा सकता था पर इस आयोजन में तो पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम भी रहे होगे फिर भी ऐसी ओछी हरकतें हो गयी, यह हमारे सम्पूर्ण समाज की दूषित मानसिकता का परिचायक है , यह इस आयोजन में सहभागिता कर रहे लोगों के लिये भी शर्मनाक है । इसकी कड़े स्वर में निंदा की जानी चाहिए । पर इस घटना पर सरकार व आयोजकों का मौन रहना व अब तक कोई भी टिप्पणी न करना और भी अधिक शर्मनाक है
Sunday, November 21, 2010
Monday, November 8, 2010
ओबामा की ऐतिहासिक भारत यात्रा
अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा की भारत यात्रा ऐतिहासिक रही। मुंबई आते ही उन्होंने भारत की गौरव गाथा का गुणगान किया ।आतंकवाद (२६/11) का सामना करने में मुंबई की जनता की भूमिका सराहना की । गाँधी जी को अपना प्रेरणाश्रोत बताते हुए उनसे सम्बंधित संग्रहालयों का दौरा किया । भारतीय उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए भारत की प्रगति का बखान किया .उसकी अर्थव्यवस्था की प्रशंसा की । झोली फैला कर अपने देश में पूंजीनिवेश का अनुरोध किया जिससे अमेरिकनों को नौकरियाँ उपलब्ध हो सकें । बड़े ही सहज भाव से बच्चों के साथ घुले मिले। पत्नी मिशेल के साथ बच्चों के बीच डांस किया । छात्रों के साथ संवाद कर उनके प्रश्नों के उत्तर दिये।
दिल्ली आकर उनका मिशन तारीफे इण्डिया थमा नहीं । भारत को इक्कीसवीं सदी की एक महाशक्ति बताया । भारत व अमेरिका के साझे मूल्यों व हितों का बखान कर उनके साथ -साथ कार्य करने को सामयिक जरूरत बताया। राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष एवं सोनिया जी से भेट की। पाकिस्तान को अमेरिका के सामरिक हितों के लिये अपरिहार्य बताते हुए आतंकवाद को ख़त्म करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बतायी ।संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कश्मीर समस्या को भारत व पाकिस्तान के बीच का मसला बताते हुए आपसी संवाद से हल करने पर जोर देते हुए कहा कि विकसित पाकिस्तान भारत के हित में है । प्रधनमंत्री ने दो टूक शब्दों में कहा कि भारत किसी भी मसले पर चर्चा से डरता नहीं ,पर वार्ता व आतंकवाद को प्रश्रय साथ साथ नहीं चल सकते। उन्होंने कहा भारत किसी देश कि नौकरियों को चुराने में यकीन नहीं करता ।उन्होंने कहा आउट्सोर्सिंग से अमेरिका की उत्पादकता बढ़ाने में भारतीयों ने योगदान दिया है।
संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए ओबामा ने अपने करिश्माई व्यक्तित्व ,कुशल वक्ता , सहजता व अमेरिकी हितों को साधने के अपने मिशन में भारत के सहयोग की पृष्ठभूमि बनाने में अपनी राजनयिक कुशलता का परिचय देते हुए न केवल सांसदों बल्कि देश की जनता का मन मोह लिया । उन्होंने गाँधी जी को याद किया ;भारत की स० राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का समर्थन किया ;आतंकवाद के प्रति संघर्ष में सहयोग का वचन दिया ; सीमापार आतंकवाद की भर्त्सना की ,मुंबई हमलों के आरोपियों को दण्डित करने का समर्थन किया और दोनों देशों के बीच बहुपक्षीय सहयोग की नयी संभावनाओं के द्वार खोले। अपने भाषण के प्रारंभ में हिंदी में स्वागत के लिये 'बहुत धन्यवाद' और अंत में 'जय हिंद 'कह कर सबका दिल खुश कर दिया ।
कुल मिला कर ओबामा की यात्रा सफल मानी जा रही है । मीडिया व विपक्षियों को कुछ भी आलोचना का मसाला नहीं मिला मनमोहन सिंह के नेतृत्त्व , उनकी साफगोई एवं राजनयिक कुशलता की सराहना ने भी की । अमेरिका को जहाँ अपने आर्थिक हितों को पूरा करने में सफलता मिली तो भारत के भी राजनीतिक व अन्य बहुपक्षीय हितों की पूर्ति होती दिखायी दे रही है । अमेरिका जैसे महाबली देश के राष्ट्रपति को भारत के समक्ष अपनी अर्थव्यस्था में सहयोग की याचक की भांति अपील करते देख यहाँ की जनता को निश्चित ही गर्व एवं प्रसन्नता का अनुभव हुआ होगा ।
पर ये वादे व्यावहारिक रूप में कितने सार्थक होगें ,इसका उत्तर आने वाला समय ही डे सकेगा । पर इस यात्रा से भारत और अमेरिकी दोनों सरकारों को अपने अपने देश में चुनोंतियों का सामना करने में राहत मिलेगी ।
दिल्ली आकर उनका मिशन तारीफे इण्डिया थमा नहीं । भारत को इक्कीसवीं सदी की एक महाशक्ति बताया । भारत व अमेरिका के साझे मूल्यों व हितों का बखान कर उनके साथ -साथ कार्य करने को सामयिक जरूरत बताया। राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष एवं सोनिया जी से भेट की। पाकिस्तान को अमेरिका के सामरिक हितों के लिये अपरिहार्य बताते हुए आतंकवाद को ख़त्म करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बतायी ।संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कश्मीर समस्या को भारत व पाकिस्तान के बीच का मसला बताते हुए आपसी संवाद से हल करने पर जोर देते हुए कहा कि विकसित पाकिस्तान भारत के हित में है । प्रधनमंत्री ने दो टूक शब्दों में कहा कि भारत किसी भी मसले पर चर्चा से डरता नहीं ,पर वार्ता व आतंकवाद को प्रश्रय साथ साथ नहीं चल सकते। उन्होंने कहा भारत किसी देश कि नौकरियों को चुराने में यकीन नहीं करता ।उन्होंने कहा आउट्सोर्सिंग से अमेरिका की उत्पादकता बढ़ाने में भारतीयों ने योगदान दिया है।
संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए ओबामा ने अपने करिश्माई व्यक्तित्व ,कुशल वक्ता , सहजता व अमेरिकी हितों को साधने के अपने मिशन में भारत के सहयोग की पृष्ठभूमि बनाने में अपनी राजनयिक कुशलता का परिचय देते हुए न केवल सांसदों बल्कि देश की जनता का मन मोह लिया । उन्होंने गाँधी जी को याद किया ;भारत की स० राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का समर्थन किया ;आतंकवाद के प्रति संघर्ष में सहयोग का वचन दिया ; सीमापार आतंकवाद की भर्त्सना की ,मुंबई हमलों के आरोपियों को दण्डित करने का समर्थन किया और दोनों देशों के बीच बहुपक्षीय सहयोग की नयी संभावनाओं के द्वार खोले। अपने भाषण के प्रारंभ में हिंदी में स्वागत के लिये 'बहुत धन्यवाद' और अंत में 'जय हिंद 'कह कर सबका दिल खुश कर दिया ।
कुल मिला कर ओबामा की यात्रा सफल मानी जा रही है । मीडिया व विपक्षियों को कुछ भी आलोचना का मसाला नहीं मिला मनमोहन सिंह के नेतृत्त्व , उनकी साफगोई एवं राजनयिक कुशलता की सराहना ने भी की । अमेरिका को जहाँ अपने आर्थिक हितों को पूरा करने में सफलता मिली तो भारत के भी राजनीतिक व अन्य बहुपक्षीय हितों की पूर्ति होती दिखायी दे रही है । अमेरिका जैसे महाबली देश के राष्ट्रपति को भारत के समक्ष अपनी अर्थव्यस्था में सहयोग की याचक की भांति अपील करते देख यहाँ की जनता को निश्चित ही गर्व एवं प्रसन्नता का अनुभव हुआ होगा ।
पर ये वादे व्यावहारिक रूप में कितने सार्थक होगें ,इसका उत्तर आने वाला समय ही डे सकेगा । पर इस यात्रा से भारत और अमेरिकी दोनों सरकारों को अपने अपने देश में चुनोंतियों का सामना करने में राहत मिलेगी ।
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