Saturday, September 5, 2009

डा ० राधाकृष्णन -एक विलक्षण व्यक्तित्व

आज शिक्षक दिवस पर सारा देश भारत के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली डा राधाकृष्णन का जन्मदिवस मना रहा है । वे एक विद्वान दार्शनिक ,शिक्षक ,भारतीय संस्कृति के व्याख्याकार तो थे ही ,एक सफल राजनयिक के रूप में उनकी उपलब्धियों को भुलाया नहीं जा सकता। सोवियत संघ में भारत के राजदूत के रूप में उनके व्यक्तित्व ने भारत -सोवियत संबंधों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । सोवियत संघ का तत्कालीन प्रधानमंत्री स्तालिन विदेशी राजदूतों से बहुत कम मिलता था ,पर डा ० राधाकृष्णन का बहुत सम्मान करता था ।
भारत के पहले उपराष्ट्रपति के रूप में उन्होंने विदेशनीति को तो समृद्ध किया ही, पर राष्ट्रपति के रू में उन्होंने इस पद को नई गरिमा प्रदान की । उनसे पहले डा ० राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे। वे प ० नेहरू के साथी थे और अक्सर विचार -विनिमय करने उनके पास चले जाते थे। डा ० राधाकृष्णन ने राष्ट्रपति बनते ही इस पद से सम्बंधित कुछ परम्परायें स्थापित कीं जिनका आज भी पालन किया जाता हैं ,जैसे_ राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री मिलने आएगा ,राष्ट्रपति स्वयं उससे नहीं मिलने जाएगा ; प्रत्येक विदेश यात्रा के बाद प्रधानमंत्री राष्ट्रपति से मिल कर अपनी यात्रा की रिपोर्ट देगा । राष्ट्रपति के द्वारा जनता की शिकायतों को सुनने की परम्परा भी उन्होंने ही डाली।
वे राष्ट्रपति के पद को ब्रिटिश संप्रभु की भाँति केवल रबर-स्टंप की भाँति न मान कर उसे संविधान का संरक्षक मानते थे ,ऐसा उनकी कार्यप्रणाली से स्पष्ट होता था । १९६२ में चीन के हाथों भारत की हार से वे बहुत दुखी और आह़त थे एवं इसके लिए नेहरू को उत्तरदायी मानते थे। उनके दबाव से ही तत्कालीन विदेशमंत्री कृष्णामेनन को इस्तीफा देना पड़ा था। कहा तो यहाँ तक जाता है की उन्होंने तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल कुमारमंगलम की सेना में स्थिति को जानने का प्रयास किया था ताकि युद्ध में हारजनित संकट का मुकाबला करने के लिए देश में मार्शल ला लगाया जा सके। संभवतः इसी लिए कांग्रेस ने उन्हें पुनः राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार नहीं बनाया ।
डा राधाकृष्णन एक सच्चे देशभक्त ,कुशल प्रशासक ,उच्च कोटि के विद्वान एवं राजनयिक थेराष्ट्रपति पद को उन्होंने नई ऊँचाइयाँ प्रदान कींदेश के संवैधानिक इतिहास में उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता
ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व को शत्-शत् नमन।

2 comments:

  1. बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को मेरा सादर प्रणाम और बधाइयाँ!

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  2. अच्छी प्रस्तुति....बहुत बहुत बधाई...शिक्षक दिवस पर सभी शिक्षकों को मेरा सादर प्रणाम...

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