बहुत पहले छात्र जीवन में एक लघुकथा पढी थी( लेखक का नाम भूल रहा हूँ )-
एक नेता (मंत्री ) की मौत हो गयी , यमराज ने यमदूतों को उसकी आत्मा लेने भेजा । यमदूत खोजते -खोजते थक गए पर आत्मा नहीं मिली। वापस आकर उन्होंने यमराज को बताया। यमराज ने उन्हें वापस भेजा और कहा किउसकी आत्मा कुर्सी में छिपी होगी वहां खोजो। इस बार यमदूत नेता की आत्मा को खोज पाने में सफल हो गये।
कुछ यही स्थिति हमारे देश में राजनीति में है । युवा नेतृत्त्व की बात तो बहुत की जाती है पर नेता पार्टी या सरकार में युवाओं को जगह नहीं देना चाहते । जहाँ यह दिखता भी है वहां पारिवारिक विरासत देने के रूप में। भाजपा में तो फ़िर भी संघ के दबाव से बूढे नेता पद छोड़ने पर मजबूर दिख रहे हैं पर अन्य दलों में युवाओं का कोई हाल पूछने वाला नहीं है । आख़िर कब तक राजनीति कँपे-कंपाये ,थके-हारे नेताओं के चंगुल में फँसी रहेगी। बिना युवाओं के कोई भी देश तरक्की नहीं कर सकता,यह एक ध्रुव -सत्य है। हमारे राजनेताओं को इस बात पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
Tuesday, September 1, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आजतक समझ नहीं आया कि ये नेता एक कुर्सी के लिए क्यों इतना परेशान पहते हैं। अरे बाजार जाकर एक दो अच्छी सी कुर्सी ले आयें। हम ही अपने लिए कल ले कर आये हैं। सस्ती, मंहगी सब तरह की कुर्सियां बाजार में हैं।
ReplyDeleteकुछ यही स्थिति हमारे देश में राजनीति में है । युवा नेतृत्त्व की बात तो बहुत की जाती है पर नेता पार्टी या सरकार में युवाओं को जगह नहीं देना चाहते.
ReplyDeleteअब यह काम जनता को करना चाहिये,युवा वर्ग को आगे लाने की सोच समाज मे व्याप्त हो जाये,तो इस समस्या का निदान अपने आप हो जायेगा.
Sir......Bilkul sahi kaha aapne......... neta ki aatma ko achcha define kiya hai aapne........
ReplyDeleteNamaskar.........