आज गाँधी जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी बिनोबा जी का जन्म दिवस है। उन्हें भूदान आन्दोलन के प्रणेता के रूप में भी याद किया जाता है। उनसे सम्बंधित एक घटना याद आती है । एक बार एक विदेशी पत्रकार बिनोबा जी के पास आया और भारतीय समाज में प्रचलित वर्ण व्यवस्था की चर्चा करते हुए पूछा कि आपकी जाति क्या है। बिनोबा जी ने कहा कि जब मैं प्रातः उठ कर शौच आदि क्रियायें करता हूँ तब मै शूद्र होता हूँ ,इसके बाद जब स्नान आदि से निवृत्त हो कर ध्यान ,पूजन एवं अध्ययन करता हूँ तो मैं ब्राह्मण होता हूँ , तदोपरांत जब मै अपने उदर पोषण एवं अपनी जीविका से सम्बंधित चिंता करता हूँ तो वैश्य होता हूँ और जब मै समाज के कल्याण और ग़रीबों के हित के बारे मै सोचता हूँ तो मै क्षत्रिय होता हूँ। अब आप ही बताइये कि मेरी जाति क्या है ?
यदि हम लोग आज वर्ण व्यवस्था को बिनोबा जी के कहे अनुसार ग्रहण करें तो बहुत सी सामाजिक समस्याएं स्वतः समाप्त हो जायेगीं । ऐसे महापुरुष को मेरा शत् शत् नमन।
Friday, September 11, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बिनोबा जी ki baat ekdam sahi hai..आज वर्ण व्यवस्था को बिनोबा जी के कहे अनुसार ग्रहण करें तो बहुत सी सामाजिक समस्याएं स्वतः समाप्त हो जायेगीं ।bahut achhi post lagi...
ReplyDelete