जम्मू कश्मीर विधान सभा में पिछले दो दिनों से शोपियां बलात्कार कांड पर जो नौटंकी चल रही है , वह हमारे राजनेताओं की असलियत जाहिर तो करती ही है पर हमारे राजनीतिक तंत्र पर कुछ सवाल भी खड़े करती है -१. यह कांड २००६ में हुआ तब विपक्ष की नेता महबूबा मुख्यमंत्री थीं। उनकी जबाबदेही बनती है कि उन्होंने उस समय क्या किया ? आज हंगामा करने का क्या मकसद है? २.एक मुख्यमंत्री रह चुका राजनेता संसदीय मर्यादाओंको ताक में रख कर स्पीकर का माइक छीन कर नाटक करता है , यह कितना क्षम्य है? ३. मुख्यमंत्री का इस्तीफा देना भी एक नाटक के अलावा कुछ नहीं है जिसे स्वीकार करने का कोई औचित्य नहीं। ४.बलात्कार की शिकार महिलाओं के प्रति चिंता मात्र एक दिखावा है .असली मकसद तो जनता के बीच उन्माद पैदा कर अपने वोट बैंक को बढाना है। कब तक ये नेता जनता को बेवकूफ बनाते रहेगें और लोग बहकावे में आते रहेगें । इन नेताओं को मानवीय संवेदनाओं से कुछ भी लेना देना नहीं है।
Tuesday, July 28, 2009
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आपका शीर्षक ही बहुत कुछ कहता है। इसके आगे कुछ और लिखने की आवश्यकता ही नहीं थी।
ReplyDeleteसही कहा…
ReplyDeleteहम तो इस इस्तिफे को नई शुरुआत की तरह देखते है... उनमें हिम्मत थी.. वरना सारे नेता कुर्सी से चिपके रहते है..
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