Monday, July 6, 2009

सावधान ! हमारा कल्चर खतरे में है .?

सम्लेंगिकता पर हाई कोर्ट के फैसले के बाद से इस विषय परएक बवंडर उठ खड़ा हुआ है। सभी धर्मो के प्रमुख चेहरों ने धर्म विरोधी घोषित कर इसे हराम या देश की संस्कृति के लिए खतरा बताया है। अदालत ने सम्लेंगिक संबंधों को विवाह संस्था का विकल्प घोषित नहीं किया है और न ही इन्हें बढावा देने की बात कही है। कोर्ट ने तो आपसी सहमति के आधार पर स्थापित ऐसे संबंधों को सजा से मुक्त किया है और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की दृष्टि से इन्हें मान्यता दी है। एक ओर हम लोकतान्त्रिक होने का दावा करते है तो दूसरी ओर परम्परावादी लीक पर चलना चाहते है। इतनी हाय- तौबा इस मुद्दे पर मची है जैसे हमारा कल्चर खतरे में पड़ गया है। भविष्य के समाज की बड़ी -बड़ी कल्पनाएँ की जा रहीं हैं। हमारी संस्कृति की जड़े बहुत गहरी है और यह बहुत व्यापक ,वाद-विवाद से तत्वज्ञान प्राप्त करने में विश्वास रखने वाली रही है। यौन शिक्षा को बहुत पहले से वैज्ञानिक तरीके से हमारे यहाँ निरुपित किया जा चुका है। वात्स्यानन का ' कामसूत्र ' एवं खजुराहो की की कलाकृतियाँ इसका प्रमाण है। हमारी सांस्कृतिक परम्पराएँ लोकतान्त्रिक एवं परस्पर विरोधी दृष्टिकोणों में सामंजस्य स्थापित करने वाली रहीं है। अतः इस फैसले पर विवेकपूर्ण एवं प्रबुद्ध तरीके प्रतिक्रिया व्यक्त करने की जरुरत है और यही एक सही प्रजातान्त्रिक समाज की विशेषता होती है। आखिर हमें जनता के विवेक पर भी भरोसा करना चाहिए।

1 comment:

  1. हमारी संस्कृति के बारे में अब वे लोग समझा रहे हैं जिन्हें अपने परिवार की संस्कृति भी नहीं पता है। क्या किया जा सकता है?

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