Thursday, July 23, 2009
नेता खतरे में हैं देश नहीं . . .
लोकसभा में कुछ नेताओं की सुरक्षा को लेकर कल बड़ा हंगामा मचाया गया। ऐसा लगा कि नेता के आगे देश की सुरक्षा का मामला बहुत छोटा है। गृहमंत्री को भी झुकना पड़ा । लोकसभा में फालतू मुद्दों पर जितना समय हमारे देश में बर्बाद होता है उतना किसी भी जनतांत्रिक देश में नहीं होता । समय की बर्बादी के कारण महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाती और वे बिना बहस के ही पारित हो जाते हैं। साठ दशकों के परिपक्व लोकतान्त्रिक देश की संसद के प्रतिनिधियों के लिए यह चुल्लू भर पानी में डूब मरने वाली बात है। परन्तु हमारे नेताओं की इतनी बेशर्म मोटी खाल है कि उन पर इस बात पर कोई असर ही नहीं पड़ता । पिछली लोकसभा के स्पीकर सोमनाथ दा समझा कर .नाराज व दुखी हो हार गए पर हमारे नेताओं के कानों में जूँ भी न रेंगी । नेताओं को अपनी सुरक्षा की जितनी चिंता है उसका रंचमात्र अंश भी देश की सुरक्षा या आम आदमी की समस्याओं को सुलझाने में नहीं दिखता। लगता है कि देश की तुलना में नेता ज्यादा खतरे में हैं। इस प्रवृत्ति के खिलाफ जनचेतना जगाने की आज महती आवश्यकता है।
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aam janta AAM hai, jiski paidawar ab kam ho gai hai.
ReplyDeleteneta ab MOOLYAVAAN hai kyonki ye hi janta ki sewa (MEWA KHAKAR) karta hai.