Wednesday, July 7, 2010

loyal और कुत्ते

आज हमारे एक मित्र राम प्रताप जी अरसे बाद मिले । उनका सर घुटा हुआ था । हिन्दुओं में किसी परिजन कि मृत्यु पर ही अधिकतर सर के बाल मुंडाये जाते हैं । मैंने उनसे पूछा कि सब खैरियत तो है । वे बोले मेरा टामी मर गया था। मैंने पूछा कि टामी कौन ? वे बोले मेरा प्यारा वफादार कुत्ता । मै चौंका । आज तो आदमी इतना संवेदनहीन है कि माँ -बाप की मृत्यु पर भी कर्म कांड करने में हिचकता है । ये कुत्ते की मौत पर भी सर घुटाये हुए हैं।
मैंने उनसे पूछा बहुत प्यार करते थे आप उसे ? वे बोले आज इंसानों के बीच प्यार खोजना पड़ता है। आदमी आदमी का शत्रु बन गया है। कोई किसी को पनपते नहीं देखना चाहता । फिर कुत्ता तो जानवरों में सबसे ज्यादा वफादार है , उसे कितना भी झिड्को , रूखी -सूखी खाने को दो पर मालिक के सदा वफादार रहते है। जरा सा पुचकारो, मालिक के सामने दुम हिला कर सेवा तत्पर हो जाते है। हालाकि दुम- हिलाऊ संस्कृति को आज की प्रगतिशील संस्कृति में मानव समाज में भी मान्यता मिल रही है । नेता ,अधिकारी , सभी दुम हिलाऊ लोगों को अपने आस -पास रखना पसंद करते हैं । वे उन्हें एक सोफिस्टीकेटिड नाम लायल (Loyal) से पुकारते हैं ।
बहुत से अधिकारियों के आस -पास विदेशी नस्ल के कुत्ते और loyal दोनों होते हैं । वे दोनों का बराबर ख्याल रखते हैं ।
पर loyal और कुत्तों में कुछ अंतर पाया जाता है- मसलन loyal चूकि आदमी होते हैं इसलिए वे दिमाग का खेल खेलते हैं । अपने अधिकारी की जी- हजूरी कर वे उनके इतने विश्वासपात्र बन जाते हैं कि अधिकारी केवल उन्ही की आँखों से ही देखता है । फिर वे अपनी हित -सिद्धि ज्यादा करते हैं ।अधिकारी जब फँसता है तो वे इतने दूर खड़े हो जाते हैं ,जैसे कि वे उसे पहचानते नहीं । कुत्ते चूकि जानवर होते हैं अतः उनमें इतना दिमाग नहीं होता । वे मालिक की डांट, मार खा कर भी मालिक के प्रति समर्पित रहते हैं । मालिक को कोई आँख उठ कर भी देखे तो वे अपनी जान की बाजी लगा कर प्रतिरोध करते हैं ।
राम प्रताप जी बोले कि मेरा टामी भी ऐसा ही वफादार था। इतना कहते हुए उनकी आँख से झर -झर आंसू बहने लगे । मुझे लगा कि राम प्रताप जी ने मेरी आँखे खोल दी । हमारे आस -पास कुत्ते व तथाकथित loyal दोनों ही मौजूद रहते हैं पर हम पहचानने में भूल कर जाते हैं । शायद इस पोस्ट को पढ़ कर आपकी भी आँखे खुल जाएँ ।

1 comment:

  1. इन्सानियत से जुड़ा महत्वपूर्ण मसला उठाया है आपने. क्या तुलना की है दुम हिलाऊ आदमी और कुत्ते की. बहुत सुन्दर.

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