Wednesday, February 24, 2010

इतिहासपुरुष 'सचिन ' को सलाम

ग्वालियर वन डे में भारत की जीत के नायक सचिन तेंदुलकर ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में साऊथ अफ्रीका जैसी शक्तिशाली टीम के खिलाफ वन डे में दोहरा शतक लगा कर एक असंभव सा लगने वाला कारनामा प्रस्तुत किया है । यह उपलब्धि पाने के बाद भी उनकी स्वाभाविक विनम्रता में कोई कमी नहीं आयी है । सचिन अपनी फिटनेस ,एकाग्रता और कुशलता के लिये सभी खिलाडियों के लिये एक आदर्श कहे जा सकते हैं। मैदान के बाहर और भीतर उनका व्यवहार सदैव शालीन रहा है । ख़राब फार्म के समय भी अपने आलोचकों का जबाब उन्होंने सदैव अपनी नई उपलब्धि से दिया है। वे भारत के अनमोल रत्न हैं जिन पर सभी देशवासी गर्व कर सकते हैं। उन्होंने अपना शतक भी देश के नाम समर्पित किया है। ऐसी जांबाज व्यक्तित्व को हम सबका सलाम -
" हजारों साल जब धरती अपनी बेनूरी पर रोती है ;
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा । "

2 comments:

  1. badhiya sher Aaditya sir.. naman
    इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे..
    ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना..
    लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है..
    कोई बाहर का पक्का रंग लगाना..
    के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये..
    ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये..
    इस बार.. ऐसा रंग लगाना...
    (और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)

    होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...

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  2. sir,pranaam,padh kar prerna ka anubhav hua.dhanyabad sir.

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