Saturday, February 13, 2010

आतंकी हिट और सरकार फ्लाप

आई .पी. एल. में पाकिस्तानी खिलाडियों के न लिये जाने पर शाहरुख़ खान के बयान के बाद बाल ठाकरे एवं शिव सेना की प्रतिक्रिया उदारमना भारतीय मानस को भले ही रास नहीं आयी हो और कांग्रेस ,भाजपा सहित सभी राजनीतिक दलों ने अपने सियासी गणित से शिवसेना बैक फुट पर भले ही चली गयी हो ; केंद्र व महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार ने अपनी पीठ थपथपा ली हो और सारे देश के अख़बार व मीडिया चैनल 'खान हिट और ठाकरे फ्लाप ' के स्लोगन से अटे पड़े हों, १३ फरवरी को पुणे के जर्मन बेकरी रेस्तरां पर हुए आतंकी हमलों ने २६/११ के आतंकी हमले की न केवल याद दिला दी वरन आतंकी हमलों से बचाव की हमारी तैयारी पर फिर से कुछ अनसुलझे सवाल उठा दिए ।
जहाँ एक ओर भारत सरकार व जनता का एक बड़ा वर्ग खेल में राजनीति से परे रह कर पाकिस्तानी खिलाडियों के प्रति सहानुभूतिपरक दृष्टिकोण अपनाने का हिमायती था वहाँ दूसरी ओर पाकिस्तान भारत की विदेश सचिव वार्ता पर असहयोगात्मक रवैया अपना रहा था । पुणे के बम ब्लास्ट ने रही- सही कसर पूरी कर दी और आतंकियों को पाकिस्तानी शह के संदेह और भी पुख्ता हो गये।
शिवसेना की क्षेत्रीय राजनीति की निंदा की जानी चाहिये पर सरकार के पाकिस्तान के प्रति नरमी के प्रति उसके विरोध को ख़ारिज नहीं किया जा सकता । जाने -अनजाने हमारी सरकार विदेश नीति के क्षेत्र में पाकिस्तानी चालों के जबाब में असहाय सी दिखती है। पाकिस्तान से वार्ता की पेशकश के दौरान आतंकी हमला भारत तथाकथित चाक -चौबंद सुरक्षा के सरकारी दावे पर एक करारा तमाचा है। मुंबई में 'खान हिट और शिवसेना फ्लाप' भले ही हो गयी पर पुणे में हुए इस आतंकी हमले से हमारी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ पुख्ता तैयारियों के दावे पूरी तरह फ्लाप हो गये हैं ।

2 comments:

  1. आदित्य जी, आपकी चिन्ता जायज़ है. बाहरी हमले से ज़्यादा बडा खतरा हमें भितरघातियों से है. पता नहीं कब कौन हमला करता है...अब तक इतने भी हमले हुए, उनमें हमारे लोगों ने ही तो मदद की थी. पुणे हमला भी पता नहीं किस की साजिश का नतीजा है. जब घर में ही भेदियों की संख्या बढ गई हो, तब किसी भी इन्तजाम की सफ़लता संदिग्ध हो जाती है.

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  2. जिसकी सुरक्षा करनी थी वो भी अल्पसंख्यक और जिसने सुरक्षा को बर्बाद किया वो भी अल्पसंख्यक. किसके पक्ष में खड़े हों और किसके विरोध में यही समझ से बाहर है.
    सरकार को तो बस ये दिखाना था कि उसने शिवसेना को परास्त कर दिया.
    पुणे हमलों ने एक बारगी फिर उस व्यवस्था की पोल खोल दी जो आम आदमी के वजाय पोस्टरों की सुरक्षा में तैनात थी.
    उतरन सीरियल की नानी के शब्दों में "अब तो राम ही राखे"
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

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