कल के समाचार पत्रों का अवलोकन करने पर दो समाचारों ने ध्यान खीचा -
पहली खबर आस्ट्रेलिया से थी जहाँ विक्टोरिया के पुलिस प्रमुख साइमन ओवरलैंड ने भारतीयों को सुझाव दिया कि वे हमलों से बचने के लिये गरीबकी तरह दिखें, 'लो प्रोफाइल ' रहें और चमक -दमक से दूर रहें ।(द एज ) इस घटना से सिद्ध होता है की अभी भी विकसित देशों संकीर्ण और भेदभावपूर्ण मानसिकता में अभी भी बदलाव नहीं आया है । यह शुद्ध नस्लवाद नहीं तो क्या है ?भारत सरकार को इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रवृत्ति के विरुद्ध जनमत बनाना चाहिए।
दूसरी खबर अपने भारत की आथिक राजधानी मुंबई से है । बढती मंहगाई पर कड़ी आलोचना झेल रहे कृषिमंत्री शरद पवार की पार्टी राकांपा की पत्रिका 'राष्ट्रवादी' के सम्पादकीय में लिखा गया है ,"चीनी नहीं खायेगें तो मर नहीं जायेगें "(दैनिक हिंदुस्तान ,८ फरवरी २०१०)। इसमें फ़रमाया गया है कि' चीनी नहीं खाने से किसी की मौत नहीं होती और इसे कहने से मधुमेह बढता है॥ अतः जरूरी नहीं है कि हर कोई चीनी खाए । "
एक ओर हम इक्कीसवीं सदी में वैचरिक एवं भौतिक प्रगति के नए क्षितिज छूने का प्रयास कर रहे हैं ,तो दूसरी ओर अभी तक नस्लवादी मानसिकता से मुक्त नहीं हो पा रहे है । राजनीतिक तौर पर गैर जिम्मेदार एवं संवेदनहीन बातें करने में अपनी शान समझते हैं । यह सब बेहद शर्मनाक है ।
Monday, February 8, 2010
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आपने सच्चाई को बखूबी प्रस्तुत किया है! महंगाई बहुत बढ़ गयी है और इससे सभी लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है! उम्मीद है की जल्द इस समस्या का हल निकलेगा!
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteRespected Sir,
ReplyDeleteI have seen some of your blogs and I really appreciate your thoughts. Our politicians have really become shameless, they are amassing huge wealth for their hundreds of generation and they have no human feelings towards the general public of their country, which is being crushed between increasing prices and decreasing incomes.
Best Regards
Iqbal Zafar