Friday, August 7, 2009

संवेदनाओं का सूखा

हमारे देश का एक बड़ा भाग आज सूखे से प्रभावित है । यू० पी० तो लगभग पूरा ही सूखे की लपेट में है। दूसरी ओर बिहार की जनता बाड़ से पीड़ित है । हमारा राजनीतिज्ञ सदैव की भाँति इन आपदाओं को राजनीति का मोहरा बना कर अपने हित की दृष्टि अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है। आम जनता के दुःख -सुख से उनका कोई लेना देना नहीं है । यू० पी० में विभिन्न जिलों को सूखाग्रस्त घोषित करने में गत लोकसभा चुनाव में सत्ता पार्टी की जीत को आधार बनाया गया । विपक्षी सांसदों के क्षेत्रों को काफी बबाल के बाद सूखाग्रस्त घोषित किया गया। विधानसभा में हो अनुपूरक बजट पेश किया गया उसमे सूखे से कई गुना अधिक धन पार्कों व मूर्तियों के लिए आबंटित किया गया। बिहार में भी विपक्ष की रूचि बाड़ के बहाने सरकार की छवि खराब करने में अधिक है ।
जनता के साथ यह खिलवाड़ कब तक चलेगा ?केन्द्र सरकार भी राज्यों पर जिम्मेवारी डाल कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है। मानवीय संवेदनाएं मृतप्राय हो गयी हो गयीं हैं। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र एवं उभरती महाशक्ति के लिए यह शर्म की बात है।

1 comment:

  1. ye bhi samvedanaaon ka sookha hai ki garib ro rahaa hai aur HATHI lag rahe hain.
    aakhir isii chunav men nara diya gayaa
    "hathi nahin Ganesh hai, Brahma, Vishnu, Mahesh hai"

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