Monday, May 8, 2017

ऐतिहासिक माहिल सरोवर की सुन्दर छटा

       उरई नगर  ( ज़िला जालौन ,उ .प्र.  )  के मध्य में स्थित ऐतिहासिक माहिल सरोवर की प्रात: कालीन छटा अत्यंत मनोरम होती है .प्रात : 4 बजे से ही यहाँ भ्रमण करने वालों की भीड शुरू हो जाती है और 10 बजे तक लोगों का आना जाना रहता है .
        यह सरोवर राजा माहिल के समय का है जो पृथ्वीराज चौहान के समकालीन था एवं एक सफल कूटनीतिक था .तालाब के किनारे उसके किले के अवशेष नाम मात्र के बचे है .किले पर ही दयानन्द वैदिक महाविद्यालय एवं डी ए  वी इंटर कालेज स्थित हैं .उसी से सटा आर्य कन्या इंटर कालेज भी है .
        कहते हैं कि  माहिल ने  यहाँ से महोबा तक सुरंग बनवाई थीं जिसका प्रवेश द्वार आज भी डी ए वी इंटर कालेज में बचा हुआ है .वहां अब शिवलिंग की स्थापना कर दी गयी है.
        इस तालाब का सुन्दरीकरण किया गया है .तालाब के चारों ओर सड़क बनी है ज़िसके दोनों ओर विविध प्रकार के पेड लगे हैं . बीच- बीच में सड़क के किनारे छतरियां व उनके नीचे बेंच बनायीं गयी  हैं .तालाब के मध्य एक उद्यान है जिसे एक पुल से जोडा गया है .पुल पर खडे होकर सरोवर को निहारना मनोरम लगता है ज़िसमे बत्तखे व मछलियां क्रीडा करती रहतीं हैं .पेडों पर बन्दरों का समूह भी प्राय:दृष्टिगोचर होता है .तालाब के किनारे अनेक मन्दिर व घाट हैं जहां से पूजा व भजनों के स्वर रोज ही सुनाई देते हैं .
         प्रात: यहाँ  विविध गतिविधियाँ  होती दिखाई देती हैं -कहीं योग व प्राणायाम करते हुए स्त्री व पुरूष , कहीं भजन गाते बुजुर्ग ,जौगिंग करते युवा  ,घूमते हुए और विभिन्न सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों पर बहस करती टोलियां ,धैर्यवान श्रोताओं को तलासते बुजुर्ग समाजसेवी व राजनेता , घूमने के बाद जल्दी घर जाने की बात करती घंटों गपशप  करती बेंच पर बैठी महिलायें ,करेले व नीम का जूस व अंकुरित चने बेचते स्टाल पर भीड .
       इस  सरोवर का पर्यावरण उन लोगों के लिये ,जो अकेले रह गये हैं या ज़िनके बच्चे बाहर हैं ,समय व्यतीत करने व स्वस्थ रहने का आधार देता है  एवं जीवनी शक्ति  प्रदान करता है .
        पर्यावरण के प्रति जागरूक कुछ युवा भी मुझे दिखे .इनमें से एक गणेश शंकर  त्रिपाठी ने कुछ पेड  लगाये हैं  और वे अक्सर बडी सी पोलीथींन में पानी भर कर पोधों को सीचते हुए दिखाई देते हैं .
        यह सरोवर किशोर प्रेमियों में भी लोकप्रिय है .अक्सर कोचिंग जाने वाले अथवा कालेज जाने वाले लडके व लडकियां  पेडों के झुरमुट के नीचे बैठे हुए बतियाते या mobile पर  chat   करते मिल जाते हैं पर अब anti-romeo squad  के चलते इनकी संख्या में कुछ कमी आयी है .
           इस पार्क की देख- रेख रंगीला चौकीदार करता हैं जो हरफनमौला व्यक्ति हैं .
           अक्सर पुष्पों का आवश्यकता से अधिक संग्रह करती महिलायें व पुरूष मिल जाते हैं  ज़िन्हे देख कर कबीर की पंक्तियाँ याद आ जाती हैं -
    "माली आवत देख कर,कलियन करी पुकार ,
      फूले फूले चुनाव लिये ,काल्हि हमारी बार ."
           मैं भी नियमित रूप से भ्रमण के लिये जाता हूँ .मुझे तो इस सरोवर का माहौल स्वर्ग( यदि है) से भी सुन्दर लगता है .

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