Sunday, August 14, 2011

अनशन के साये में स्वतंत्रता दिवस

सारा देश आज ६५ वां स्वंत्रता दिवस मनाने जा रहा रहा है अपने प्रधान मंत्री लाल किले पर झंडा फहराएगें शहीदों की कुर्बानी और अपनी उपलब्धियों का बखान करेंगे
यह स्वतंत्रता दिवस कुछ सवाल लाया सरकार के लिये भी और आम लोगों के लिये भी
लोकपाल बिल पर अन्ना की सिविल सोसायटी और सरकार आमने सामने है
१६ अगस्त से अन्ना अनशन करने जा रहे हैं अनशन की जगह अवधि को लेकर , सरकार की नीयत को लेकर, अन्ना के पी० एम० को लिखे पत्र को लेकर तथा १४ अगस्त को सरकार कांग्रेस पार्टी द्वारा अन्ना उनकी टीम के विरुद्ध आरोप लगा कर और अन्ना द्वारा उनका खंडन करने पलट वार करने तथा अनशन पर अडिग रहने को लेकर लोगों के मन में कई आशंकायें प्रश्न उठ रहे हैं -
क्या अन्ना अनशन कर पायेंगें ?
क्या सरकार रामदेव के सत्याग्रह की तरह इस आन्दोलन का भी दमन कर देगी ?
सरकार अन्ना के वाक़-युद्ध का हमारी अंतर्राष्ट्रीय छवि पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
अब यह आन्दोलन क्या लोकपाल बिल तक ही सीमित रहेगा अथवा व्यवस्था परिवर्तन की शुरुआत बनेगा ?
जनता की कितनी वास्तविक भागीदारी इस आन्दोलन में होगी ?
हमारी निर्वाचित सरकार इस अनशन से इतना विचलित क्यों है ?
क्या नैतिकता शालीनता का एक दूसरे को उपदेश देते देते हम खुद अशालीन नहीं हो गये हैं ?
क्या भ्रष्टाचार के विरुद्ध यह जन आन्दोलन हमारे राष्ट्रीय चरित्र को भी सुधारने में सफल होगा ?
उम्मीद करने चाहिए की यह घटनाक्रम देश की राजनीतिक संस्कृति को एक सकारात्मक दिशा दे सके ,मात्र एक ऐतिहासिक घटना बन कर रह जाये ...स्वागतम स्वाधीनता दिवस




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