Saturday, October 2, 2010

गाँधी जी का डंडा

कालेज में गाँधी जयंती का कार्यक्रम चल रहा था ।एक पुराने बुजुर्ग सदस्य एक बड़ा सा डंडा लेकर उसके सहारे चलते हुए आये । वाह डंडा क्या था ,उनके कद से एक फिट ऊंची एक नक्काशीदार लाठी थी । लोगों ने मजाक किया की गाँधी जी का डंडा लाये हैं आप । यह तो बहुत बड़ा है ।उन्होंने कहा कि अगर आज गाँधी जी जिन्दा होते तो इतना बड़ा डंडा लेकर ही उन्हें चलना पड़ता तभी लोग उनकी बात सुनते । बात छोटी सी थी थी पर सोचने पर विवश कर गयी । आज डंडे कि भाषा ही जल्दी समझ में आती है आदमी को । कथनी -करनी में अंतर न हो ,यह बात गाँधी ने कही थी पर कौन उसे अपनाना चाहता है ? गाँधी को तो अप्रासंगिक मानते हैं हम लोग

1 comment:

  1. गाँधी जी को बस ढोया जा रहा है. डंडे का प्रयोग इस देश में जरूरी सा लगता है, आप इसका उदाहरण चुनाव में देख ही सकते हैं, हम सभी देख भी चुके हैं.
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

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