Monday, November 16, 2009

वाह री कल्याण की मासूमियत

कल्याण सिंह एक लंबे समय से उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं । घाट -घाट का पानी उन्होंने पिया है । एक समय वे प्रदेश में भाजपा की रीढ़ थे,एक समर्पित कार्यकर्त्ता एवं आर० एस० एस० के करीबी थे । मुख्यमंत्री भी रहे । सत्ता से हटने के बाद भी वे भाजपा के कद्दावर नेता रहे और प्रदेश में अपने आगे किसी को टिकने नहीं दिया । भाजपा में परिवर्तन के दौर में जब भी उन्होंने अपने को उपेक्षित महसूस किया तो वे विफर उठे । राजनीति में यू- टर्न लेने में वे माहिर हैं ,वह भी बड़ी मासूमियत के साथ । कभी हिंदुत्व के प्रति आस्था ,कभी धर्मनिरपेक्षता के पुरोधा , कभी अटल जी को कोसना और फ़िर वापस आकर उनका गुणगान करना ,कभी मुलायम के विरोधी और कभी उनके साथ कंधे से कन्धा मिला कर चलने में आगेसारे विरोधाभासी रोल वे जिस खूबी मासूमियत से निभा लेते हैं ,उसकी कोई अन्य मिसाल भारतीय राजनीति में ढूढे नहीं मिलती । वे लोध जाति के है और मानते है कि सारे लोध उनके इशारों पर ही वोट देते है ।
कल जब मुलायम सिंह ने उनसे किनारा कर लिया तो उन्हें तत्वज्ञान हुआ कि मुलायम धोखेबाज हैं और उन्होंने भाजपा में जाने का मन बना लिया । जनता तो बेवकूफ है और नेताओं के इशारों की गुलाम है ,ऐसा मानने वाले नेताओं कि जमात में हैं कल्याण ।
वाह री मासूमियत कि गिरगिट भी शर्मा जाये और धन्य है हमारी जनता जो ऐसी लोगों को भी अपना प्रतिनिधि चुन लेती है

2 comments:

  1. बलि जाउ लला इन बोलन पर
    लेकिन इनसे ज्यादा तो भोले भा ज पा वाले है जो इन्हे पाले है

    ReplyDelete
  2. राजनीती के बारे में मुझे ज़्यादा ज्ञान तो नहीं है पर ये सच है सभी नेता भोले भाले जनता को उल्लू बनाते हैं! जनता तो नेता के बातों में आ जाते हैं और ये नहीं समझते की सारे वादे झूठे हैं जो उन्हें कहा जा रहा है!

    ReplyDelete