Saturday, October 31, 2009

लौह पुरूष एवं लौह महिला -यादों के आईने में

आज का दिन हमारे देश के इतिहास में' सरदार वल्लभ भाई पटेल 'के जन्म दिवस एवं 'श्रीमती इंदिरा गाँधी ' के निर्वाण दिवस के रूप में याद किया जाता है , वर्तमान परिवेश में जबकि हम लोग महान व्यक्तित्वों को जाति व क्षेत्र के चश्मे से देखने के अभ्यस्त हो गये हैं , इन हुतात्माओं के जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेने की जरूरत है.
सरदार पटेल स्वाधीनता आन्दोलन के प्रमुख नेता तो थे ही, देश के उप प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल उनकी दृढ़ता ,दूरदृष्टि और प्रशासनिक कुशलता के लिए याद किया जाता है .स्वतंत्रता के बाद रियासतों के भारतीय संघ में विलय में उनकी कठोर भूमिका आज भी सराही जाती है, कश्मीर के बारे में भी उनकी नीति नेहरु के हस्तक्षेप के कारण सफल नहीं हो पायी. तिब्बत के बारे में चीन के इरादों से वे नेहरु को हमेशा सावधान करते रहे. आज भी देश का एक बड़ा वर्ग यह महसूस करता है की यदि पटेल देश के प्रधानमंत्री बने होते तो सुरक्षा की बहुत सी समस्याएं सुलझ गयीं होतीं . कश्मीर का मुद्दा नासूर न बनता .
इंदिरा गाँधी ने देश के प्रधान मंत्री के रूप में अतुलनीय कार्य किया.उन्होंने न केवल आंतरिक चुनौतियों का कठोरता से सामना किया, वरन अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत की प्रतिष्ठा नये रूप में प्रतिष्ठापित की.उन्होंने विदेशनीति को व्यावहारिकता प्रदान कर उसे अति आदर्शवाद के आवरण से मुक्त किया और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में सोवियत संघ से मित्रता बढा कर अमेरिका और चीन के दबावों का बखूबी जबाब दिया , बांगला देश का अस्तित्व उन्हीं की कूटनीति की सफलता था ,जो आज भी पाकिस्तान की दुखती रग है . १९७१ के भारत -पाक युद्ध में सातवें बेडे को रवाना करने की धमकी देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन को स्वीकार करना पड़ा कि भारत एक महाशक्ति बनने की राह पर है. खालिस्तानी आतंकवाद का दमन 'आपरेशन ब्लू स्टार' के द्वारा उन्हीं के निर्देश पर हुआ .देश की अखंडता की रक्षा के लिए उन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिये.
पटेल यदि देश में' लौह पुरुष' के रूप में याद किये जाते हैं तो इंदिरा जी 'लौह महिला 'के रूप में जानी जाती हैं .दोनों ही देश के लिये जिये और देश के लिये ही मरे .जिसने अपना जीवन समाज व राष्ट्र के प्रति समर्पित कर दिया उसने ही जनमानस का आदर पाया है . देश के दोनों रत्नों को कोटि -कोटि नमन . सुकवि आदर्श ' प्रहरी ' की पंक्तियाँ याद आती हैं -
" बिना तपे तुम कैसे कंचन?
नाग-पाश बिन कैसे चन्दन ?
विषपायी जब तक न बनोगे ,
तब तक कौन करे अभिनन्दन ?"

3 comments:

  1. APNE BILKUL SAHI KAHA KI,बिना तपे तुम कैसे कंचन?
    नाग-पाश बिन कैसे चन्दन ?
    विषपायी जब तक न बनोगे ,
    तब तक कौन करे अभिनन्दन ?" AJ KE IS YUG ME YAH PORN SATYA HAI.

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  2. pataa nahi aajkal net par kuchh gadbad hai, aapki post samay se hamen dikh nahin rahi hai???
    is baare men aapne vistaar se GOSHTHI men bataaya hi hai. poori report yahaan hai..
    देखिएगा।

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  3. वाह बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! आपकी लेखनी को सलाम! इस बेहतरीन पोस्ट के लिए ढेर सारी बधाइयाँ !

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