Saturday, June 19, 2021

अलविदा मिल्खा सिंह जी

            भारत के महान धावक एवं एथलेटिक्स में देश का गौरव बढ़ाने वाले पद्मश्री मिल्खा सिंह जी का गत दिवस (शुक्रवार )को निधन 91 वर्ष कीआयु में निधन हो गया. वे कोरोना संक्रमण से ग्रसित थे.
            मिल्खा सिंह जी का जन्म 20 नवंबर 1929 को अविभाजित भारत के गोविंदपुरा में  एक किसान परिवार में हुआ था. वे अपने माता पिता की  15 संतानों में से एक थे. विभाजन की त्रासदी  के दौरान उनके माता-पिता  एवं आठ भाई-बहन मारे गए. इस  भयावह हादसे  के बाद मिल्खा सिंह पाकिस्तान से ट्रेन की महिला बोगी में छिपकर किसी तरह दिल्ली पहुंचे.
           मिल्खा सिंह जी ने देश के  विभाजन के बाद दिल्ली के शरणार्थी शिविरों में अपने दुखदायी दिनों को याद करते हुए एक बार कहा था, '"जब पेट खाली हो तो देश के बारे में कोई कैसे सोच सकता है? जब मुझे रोटी मिली तो मैंने देश के बारे में सोचना शुरू किया." इन विषम परिस्थितियों से उत्पन्न आक्रोश ने उन्हें आखिरकार असाधारण लक्ष्य तक  पहुॅंचा दिया. उन्होंने कहा था, 'जब आपके माता-पिता को आपकी आंखों के सामने मार दिया गया हो तो क्या आप कभी भूल पाएंगे... कभी नहीं.'
             मिल्खा सिंह 'फ्लाइंग सिख' के नाम से जाने जाते थे.  2016 में 'इंडिया टुडे' को दिए इंटरव्यू में उन्होंने इसके पीछे की घटना बतायी ," 1960 में उनको पाकिस्तान की "इंटरनेशनल एथलीट प्रतियोगिता' में भाग लेने का आमंत्रण मिला था. पर देश के विभाजन की त्रासदी के अपने दुःखद अनुभव को  भुला नहीं पा रहे थे, और पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे. भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जब यह बात पता चली तो उन्होंने मिल्खा सिंह को समझाया.  तब वे पाकिस्तान जाने के लिए राजी हुए.
             पाकिस्तान में उस समय अब्दुल खालिक की तूती बोलती  थी जो वहाँ  के वह सबसे तेज धावक थे. प्रतियोगिता के दौरान लगभग 60000 पाकिस्तानी फैन्स अब्दुल खालिक का जोश बढ़ा रहे थे, लेकिन मिल्खा सिंह की रफ्तार के सामने खालिक टिक नहीं पाए थे.  
              इस जीत के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने उन्हें 'फ्लाइंग सिख' का नाम  से संबोधित किया और वे इस नाम से जाने जाने लग."
               मिल्खा सिंह चार बार  एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता रहे. उन्होंने 1958 के  'कामनवैल्थ गेम्स' में भी स्वर्ण पदक प्राप्त किया था.  1959 में उन्हें खेलों में योगदान के लिये देश के महान सम्मान 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया. उन्होंने 1956, 1960   एवं1964  के ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था. यद्यपि उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन  1960 के 'रोम ओलंपिक' में था, जिसमें वे 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहे थे.
            'राष्ट्रमंडलीय  और एशियाई खेलों' के स्वर्ण पदक विजेता मिल्खा सिंह के नाम 400 मीटर का राष्ट्रीय रिकॉर्ड 38 साल तक रहा.
             मिल्खा सिंह जी के महाप्रयाण के साथ एथलीट के एक युग का अवसान हो गया. वे ऐसे व्यक्तित्व थे जिनका देशवासियों जिनका  के ह्रदय में विशेष सम्मान था.  देश के ऐसे महान रत्न को विनम्र श्रद्धांजलि.
                               🙏🙏🙏

No comments:

Post a Comment