Saturday, March 20, 2021

आइये! गौरैया की प्रजाति के संरक्षण का संकल्प लें।

           आज विश्व गौरैया दिवस है। इसे 2010 से प्रतिवर्ष सारे विश्वभर में  मनाया जाता  है । आज गौरैया विलुप्ति के कगार पर है। गौरैया अधिकतर केवल पुस्तकों, कविताओं में ही दिखाई देती है है। गांवों में यदि कभी कोई गौरैया दिख जाए तो बच्चे झूम उठते हैं। 
         गौरैया के संरक्षण की चेतना जगाने के लिए  प्रतिवर्ष  20  मार्च को 'विश्व गौरैया दिवस '  मनाया जाता है।
         गौरैया का वैज्ञानिक नाम 'पासर डोमेस्टिकस' है। यह पासेराडेई परिवार का हिस्सा है। विश्व के विभिन्न देशों में गौरैया पाई जाती है। यह बहुत प्यारी पर बहुत छोटी (लगभग 15 सेंटीमीटर) होती है। शहरों की तुलना में गांवों में यह अधिक पाई जाती है। इसका अधिकतम वजन 32 ग्राम तक होता है। यह कीड़े और अनाज खाकर अपना पेट भरती है। 
         'विश्व गौरैया दिवस ' मनाने की शुरुआत भारत के नासिक में रहने वाले मोहम्मद दिलावर के प्रयत्नों से हुई। उनके द्वारा गौरैया  संरक्षण के लिए 'नेचर फॉर सोसाइटी' (Nature for Society) नामक एक संस्था शुरू की गई थी। पहली बार विश्व गौरैया दिवस 2010 में मनाया गया था। अब प्रतिवर्ष  20 मार्च को  सारे विश्व में 'गौरैया दिवस' मनाया जाता है। 
          विश्व गौरैया दिवस 2021 की थीम(Theme) ‘आई लव स्पैरो’ (I love sparrow) रखी गयी है जिसका अर्थ है कि मुझे गौरैया से प्रेम है। इस थीम को रखने के पीछे मनुष्य एवं पक्षी के बीच के संबंध की सुदृढ़ करना है। 
         ब्रिटेन की 'रॉयल सोसाइटी ऑफ बर्डस '(Royal Society of Birds) द्वारा विश्व के विभिन्न देशों में किये  अनुसंधान के आधार पर भारत सहित कई  देशों में गौरैया को रेड लिस्ट (Red list) कर दिया गया है जिसका अर्थ है कि यह पक्षी अब पूर्ण रूप से विलुप्ति की कगार पर है।
          इस दिन सरकारी स्तर पर तथा पर्यावरण एवं पक्षी प्रेमी व्यक्ति एवं संस्थाओं  द्वारा अनेक कार्यक्रम एवं प्रतियोगितायें आयोजित की जातीं हैं जो गौरैया के चित्रों , उससे संबंधित कविताओं एवं कहानियों से संबंधित होतीं हैं। पर्यावरण एवं गौरैया संरक्षण के क्षेत्र में योगदान देने वाले व्यक्तियों एवं संस्थाओं को इस दिन पुरस्कृत भी किया जाता है। 
         गौरैया संरक्षण  के लिए हम व्यक्तिगत स्तर पर प्रयास कर सकते हैं। हमें अपने घरों की छतों अथवा लॉन में पर पक्षियों के लिये दाना-पानी रखना चाहिए, अधिक से अधिक पेड़- पौधे लगाना चाहिये एवं उनके लिए कृत्रिम घोंसलों का निर्माण करना चाहिये।

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